कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 36 हजार अप्रशिक्षित शिक्षकों की नौकरी रद्द कर दी। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने यह अभूतपूर्व आदेश दिया। न्यायालय ने 36000 नौकरियों को रद्द करने का आदेश दिया। जिन लोगों की नौकरी समाप्त करने का आदेश दिया गया है, वे अप्रशिक्षित शिक्षक हैं। तीन माह के भीतर नई भर्ती के आदेश दिए गए हैं।
न्यायालय के आदेश के अनुसार जिन शिक्षकों की नियुक्ति 2014 की टीईटी परीक्षा में हुई थी, उन्हें अगले चार महीने के भीतर नौकरी छोड़नी होगी। इससे पहले भर्ती में भ्रष्टाचार के कारण इतनी बड़ी संख्या में कभी नौकरियां रद्द नहीं की गई।
भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं वकील तरुणज्योति तिवारी ने 9 साल पहले टीईटी की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि इस पैनल में 42 हजार 500 लोगों को नियुक्त किया गया था और सभी को अवैध रूप से नौकरी नहीं मिली। कुछ ने परीक्षा देकर योग्यता के आधार पर भी नौकरी पाई है।
उन्होंने न्यायालय से अवैध तरीके से नौकरी पाने वालों की जांच करने की मांग की। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने इस मामले की जांच का जिम्मा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दिया था। आरोप है कि कईयों को वादियों से कम अंक आने के बावजूद नौकरी दे दी गई है। वर्ष 2016 की भर्ती प्रक्रिया में पैनल में 824 नाम हैं। वादी ने बिना साक्षात्कार दिएये उनसे अधिक अंक प्राप्त किए हैं। कुल 139 लोगों की सूची तैयार की गई है, जिनके अंक अप्रशिक्षित से अधिक हैं और उन्हें नौकरी मिली है।
तीस हजार से अधिक उम्मीदवारों को भर्ती किया गया है, जिनके अंक आवेदकों की तुलना में कम थे। पिछले वर्ष दिसंबर में न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने बोर्ड को 139 लोगों की सूची पर गौर करने का निर्देश दिया था। गौरतलब है कि 2016 में 2014 की टीईटी परीक्षा के आधार पर 42 हजार 500 लोगों की नियुक्ति की गई थी।