कोलकाता। पश्चिम बंगाल की जेलों की स्थिति की रिपोर्ट देने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त न्याय मित्र ने महिला सुधार गृहों में पुरुषों के प्रवेश पर रोक लगाने की अपील करते हुए न्यायालय को सूचित किया है कि राज्य भर की जेलों में महिला कैदी सुरक्षित नहीं हैं और उनमें से कई गर्भवती हुई हैं।
न्यायालय ने यह सूचना मिलने के बाद जेलों में महिलाओं की स्थिति पर संज्ञान लिया है।अदालत ने राज्य भर की जेलों में भीड़भाड़ और जेलों की स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए छह साल पहले 2018 में तपस कुमार भांजा को न्याय मित्र नियुक्त किया था। भांजा ने न सिर्फ महिला कैदियों की स्थिति पर चिंता जताई बल्कि यह भी कहा कि जेलों में नवजात शिशुओं के लिए चिकित्सा सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं।
भांजा ने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति सुप्रतिम भट्टाचार्य की युगल पीठ को अपनी रिपोर्ट सौंपी। उन्होंने युगल पीठ से गुरुवार को न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करते हुए पुरुषों को महिला जेलों में प्रवेश करने से रोकने की अपील की। उन्होंने बताया कि लगभग 196 बच्चे राज्य भर की विभिन्न जेलों में रह रहे हैं और आए दिन महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं।
सूत्रों ने बताया कि लिखित रिपोर्ट मिलने के बाद युगल पीठ ने जेल सुधारों पर चिंता व्यक्त की और न्याय मित्र के सुझाव पर गौर किया, जिन्होंने महिला जेलों में पुरुष कर्मचारियों के प्रवेश पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है। अदालत ने संबंधित मुद्दे पर भी गौर किया और इसे आपराधिक मामलों में विशेषज्ञता वाली खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए निर्धारित किया।
न्यायालय के सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि रिपोर्ट में अन्य सुझावों के साथ-साथ सुधार गृहों के पुरुष कर्मचारियों के महिला कैदियों के बाड़े में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया गया है, जिसे रिकॉर्ड पर लिया गया है। नोट की प्रति महाधिवक्ता किशोर दत्ता के कार्यालय को भेज दी गई है।