अमेज़न इस राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर, रोशन सिंह और सौरभ केशरी जैसे उद्यमियों के जज़्बे का जश्न मना रहा है, जो भारत के हथकरघा उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित हैं। सूतीस्याही की स्थापना दो दूरदर्शी व्यक्तियों, रोशन और सौरभ ने की थी, जिन्हें मध्य प्रदेश के चंदेरी किले की यात्रा के दौरान हथकरघा परंपराओं से प्रेरणा मिली। उन्होंने एक ऐसे ब्रांड की कल्पना की जो इन शिल्पों को फलने-फूलने में मदद करते हुए इनका प्रसार विशाल संख्या में ग्राहकों तक करे। राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित, सूतीस्याही वहनीयता, सामाजिक ज़िम्मेदारी और स्थानीय कारीगरों की मदद के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। वे यह भारत के विभिन्न किस्म के शिल्पों से जुड़ी प्रिंटिंग तकनीकों के साथ हाथ से बुने हुए कपड़ों की सुंदरता को मिलाकर खूबसूरती और समकालीन शैली का अनूठा और आकर्षक मिश्रण तैयार कर हासिल करते हैं।
रोशन और सौरभ का समर्पण, सौंदर्य से कहीं परे जाता है क्योंकि वे अपने हर उत्पाद को “बेहद आभार के साथ बुना और प्यार के रंग में डूबा हुआ” बताते हैं, जो कारीगरों के कौशल तथा हर डिज़ाइन को तैयार करने में शामिल सहयोग की भावना के प्रति उनके गहरे आभार को दर्शाता है। वे कुशल कारीगरों के साथ सहयोग करते हैं, उचित मजदूरी सुनिश्चित करते हैं और उनके बीच साझेदारी की भावना को बढ़ावा देते हैं।
अमेज़न के साथ साझेदारी
अमेज़न के साथ सूतीस्याही की साझेदारी उनकी यात्रा में महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई क्योंकि इसने ब्रांड को अपनी पहुंच का विस्तार करने और वैश्विक स्तर पर ग्राहकों से जुड़ने में मदद की। अमेज़न के मज़बूत डिजिटल मार्केटप्लेस ने उन्हें उचित मार्केटिंग टूल और एनेलिटिक्स के साथ-साथ ग्राहकों के लिए अपने हस्तनिर्मित कपड़ों को प्रदर्शित करने के लिए आवश्यक मंच प्रदान किया, जो वहनीय और हस्तनिर्मित फैशन को महत्व देते हैं, परिचालन को सुव्यवस्थित करते हैं और इन्वेंट्री को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करते हैं।
अमेज़न ने सूतीस्याही को कारीगरों की कृतियों के मूल्य के बारे में बाज़ार को शिक्षित करने के लिए एक बाज़ार प्रदान किया है, जिसे ब्रांड अपने परिचालन को आगे बढ़ाते हुए पारंपरिक शिल्प की प्रामाणिकता के ज़रिये बनाए रखने में सक्षम है। यह गठजोड़, ब्रांड की पारंपरिक भारतीय शिल्प के प्रति अपने जुनून को साझा करने की क्षमता को बढ़ाने में सफल रहा है, साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि खुशियां फैलाने और कारीगरों की मदद करने का इसका उद्देश्य दुनिया भर के ग्राहकों तक पहुंचे।
सूतीस्याही का मूल सिद्धांत है, कारीगरों को अपना भागीदार मानते हुए और पर्यावरण अनुकूल सामग्रियों का उपयोग करते हुए उनके साथ सहयोग करना। रोशन और सौरभ स्थानीय समुदायों का समर्थन करते हुए परिधानों की प्रामाणिकता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना चाहते थे, जिसे उन्होंने सूतीस्याही के ज़रिये से साकार किया है। उनके ब्रांड का हर उत्पाद पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करने और कारीगरों के लिए बेहतर अवसर पैदा करने के समर्पण का प्रमाण है। ब्रांड ऐसे फैशन की पेशकश करता है जो सुंदर और सार्थक दोनों है। उनकी डिज़ाइन प्रक्रिया इस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसमें उनके विचार को जीवंत करने के लिए कारीगरों के साथ काम करने वाले भावुक पेशेवरों की एक टीम है। रोशन और सौरभ कारीगरों के कौशल और समकालीन डिज़ाइन के मेल साथ ऐसा परिधान तैयार करना चाहते हैं जो बस कपड़े ही न हों बल्कि कलाकृति भी हों।
दोनों संस्थापक 2024 में आंध्र प्रदेश की समृद्ध हथकरघा परंपराओं का सम्मान करते हुए नवोन्मेष करना चाहते हैं। वे नए संग्रह पेश करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें पारंपरिक तकनीक से समकालीन डिज़ाइनों तैयार होंगे। स्थानीय कारीगरों के साथ रोमांचक सहयोग और वैश्विक फैशन प्लेटफॉर्म के साथ साझेदारी से उनकी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि उनके हाथ से बने कपड़े ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचें। सूतीस्याही के नए संग्रह में सदियों से मशहूर शिल्प कौशल और समकालीन डिज़ाइनों का मिश्रण होगा, जिसमें आधुनिक तत्वों को पारंपरिक तरीकों के साथ जोड़ा जाएगा। रोशन सिंह और सौरभ केशरी के नेतृत्व में सूतीस्याही इस साल राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर अमेज़न के साथ कारीगरों की मदद करते हुए भारत की हथकरघा विरासत का सम्मान करने और वहनीयता तथा प्रामाणिकता वाले फैशन का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध है।