बाबा ईसरदास साहिब के शताब्दी महोत्सव
अजमेर। भारत सरकार समाज के लिए देश के मध्य भाग में नदी किनारे सिन्धु सनातन संस्कृति केन्द्र स्थापित करने की पहल करे एवं तीर्थराज पुष्कर में कुम्भ का आयोजन व कोरिडोर का शीघ्र निर्माण करें। तीर्थराज पुष्कर सभी तीर्थों का गुरू है और यहां ऐसे आयोजन निरंतर होनेे चाहिए। ये विचार महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन ने ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम में चल रहे बाबा ईसरदास साहिब के शताब्दी महोत्सव पर प्रकट किए। कार्यक्रम में आश्रम के महन्त स्वरूपदास उदासीन, महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का स्वागत किया।
धर्म संसद व संत दर्शन का आयोजन
धर्म संसद में देश भर से आएं संतों की मौजूदगी में कई विषयों पर चर्चा कर कियांन्वित लाने पर प्रस्ताव पारित किए गए। मुख्यतयः धर्म संसद में पारित प्रस्तावों में सिन्धी समाज की समृद्धि के लिए भारत सरकार को पूर्व में मांग कर रखी है कि 8000 एकड जमीन मध्य भारत में नदी के किनारे आंवटित की जाए साथ ही बीस हजार करोड रूपए राशि का भी प्रावधान रखा जाए।
अखण्ड भारत से सिन्ध अलग होने के बाद राज्यविहीन होने से सिन्धू सनातन संस्कृति के संरक्षण व विकास का विशाल शोधपीठ केन्द्र, वेद विद्यालय, गुरूकुल व धार्मिक केन्द्र का निर्माण करवाकर युवा पीढी को जोडा जाए। समाज को राजनीतिक जिम्मेदारी दी जाए। हमारा कुल देवता महादेव, कुल देवी हिंगलाज माता व जगन्नाथ धाम है। इसका ज्ञान समाज के सभी वर्गों को करवाना है।
समाज को स्थिर व मजबूत करने के लिए पूज्य सिन्धी पंचायत के अध्यक्ष/मुखी निर्भय व निष्पक्ष होकर निर्णय दें। समाज में रिश्तों को मजबूत करने व अनुभव करने के लिये वंश वृद्धि का आव्हान-एक बच्चा देश के लिए, एक बच्चा धर्म के लिए व दो बच्चे परिवार के लिए हो। समाज में कुरीतियों को समाप्त करने का भी आव्हान किया गया।
उठावने पर ही सारी रस्में पूर्ण न कर बारहवें तक समस्त क्रियाएं नियमानुसार नहीं करने, उठावने पर शोक संदेश पढने पर प्रतिबन्ध, अंतिम संस्कार में उपस्थित होकर अपनी ओर से लकडी देना, मृत्यू भोज व प्रसाद/उपहार का बांटना बंद हो, विवाह समारोह/ मांगलिक कार्यक्रमों में अनावश्यक दिखावा ना किया जाए, सामूहिक विवाह/कन्यादान के आयोजन पर अत्याधिक प्रयास करने चाहिए।
बच्चों के विवाह अपनी जाति में ही करने के प्रयास हो। सिन्धी भाषा का विश्वविद्यालय शीघ्र स्थापित हो। संविधान की आठवीं अनुसूची में सिन्धी भाषा की मान्यता 10 अप्रेल 1967 को मिलने के बाद भी आज दिनांक तक भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं की गई है। इससे शिक्षा के साथ रोजगार के अवसर पर बढेंगे।
सिन्धू नदी के उद्गम स्थल लेह लद्धाख में हर वर्ष जून में आयोजित होने वाली सिन्धू दर्शन तीर्थयात्राओं को भारत सरकार द्वारा आयोजन किया जाए जिससें सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ तीर्थयात्रियों का व्यय भार भी भुगतान किया जाए।
धर्म संसद में तीर्थराज पुष्कर के महन्त हनुमानराम, किशनगढ से महन्त श्यामदास, भीलवाड़ा से गणेशदास, चित्तौडगढ से स्वामी गुरुदास, जयपुर से स्वामी गुलराज, संत जयकुमार, स्वामी माधवदास, राजकोट से स्वामी अमरलाल, गांधीधाम से महन्त दर्शनदास, भावनगर गुजरात से सांई दीपकलाल, फकीर सांई नन्दलाल, उज्जैन से महन्त आत्मदास, सतना महन्त ख्मियादास, महन्त ईश्वरदास, महंत संतोषदास, महन्त पुरुषोतमदास, इन्दौर से स्वामी मोहनदास, भोपाल से बाबा मोहनदास, स्वामी तुलसीदास, रीवा से स्वामी हंसदास, संत स्वरूपदास, उल्लासनगर से महंत अर्जुनदास, जबलपुर से स्वामी आसनदास, अजमेर के संत महात्मा श्रीराम विश्वधाम के महंत अर्जुनदास, ब्यावर से सांवलदास, श्री ईश्वर गोविन्दधाम के स्वामी ईश्वरदास, निर्मलधाम के स्वामी आत्मदास, प्रेमप्रकाश आश्रम के दादा नारायणदास, जतोई दरबार के भाई फतनदास, गीता मंदिर के भीष्म के साथ सिन्धी समाज महासमिति के अध्यक्ष कवंलप्रकाश किशनानी, भारतीय सिन्धू सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, महेश टेकचंदाणी, पाषर्द हेमलता खत्री, मोहनलाल लालवाणी ने भी विचार प्रकट किए।
सनातन संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए जीवनभर करूंगा काम : देवनानी
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि सनातन संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए मैं जीवनभर काम करूंगा। सनातन एक जीवन शैली है और इसमें सभी के लिए स्नेह और सदभाव है। अजमेर में आमजन के विरोध के चलते तेलंगाना हाउस का आवंटन निरस्त किया गया है। वहीं फायसागर झील का नाम अब वरूण सागर किया जाएगा। आरटीडीसी की होटल खादिम का नाम भी बदल कर होटल अजयमेरू कर दिया गया है।
देवनानी ने धर्म संसद में प्रख्यात संत हंसाराम, सुरूपदास एवं अन्य संतों का आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम में बोलते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि मैं अपने पूरे जीवनभर सनातन और धर्म की उन्नति की रक्षा के लिए काम करूंगा। सनातन एक जीवन शैली है जो सभी को समान रूप से स्नेह और आदर सम्मान देती है।
उन्होंने कहा कि जगतपिता ब्रह्मा की नगरी तीर्थराज पुष्कर में कॉरिडोर का निर्माण एवं शिक्षा प्रणाली में संतों को उचित स्थान देने के लिए मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं सम्बन्धित अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। इसी प्रकार सनातन के संवर्धन के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने संतों से आशीर्वाद लेकर कहा कि वे जीवन भर सेवा और संस्कृति की रक्षा के लिए काम करेंगे।
भजन के गीतों की पुस्तक का विमोचन
सावलाणी परिवार की ओर संकलन कर प्रकाशित करवाया गया परमआनन्द भजन माला पुस्तक का संत महात्माओं ने विमोचन किया जिसे धार्मिक आयोजनों के लिए संदेशपूर्ण तैयार करवाया गया है। महेन्द्र कुमार तीथार्णी ने बताया कि श्री सद्गुरू 13 जनवरी को सुबह 9 बजे यज्ञ अनुष्ठाान पूर्णाहूति, 10 बजे से संतों का आशीर्वाद, प्रसादी, शाम 5 बजे समाधि पूजन व आरती, रात्रि 9 बजे पल्लव प्रार्थना के साथ उत्सव का विश्राम किया जाएगा।