चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का तीसरा चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 सफलता का एक और कीर्तिमान स्थापित करते हुए शनिवार शाम सात बजे चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया। यह भारत के चंद्र खोज मिशन में एक प्रमुख मील का पत्थर है।
इसरो ने कहा कि अंतरिक्ष यान का लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन (एलओआई) आईएसटीआरएसी, बेंगलुरु में सफलतापूर्वक पूरा हो गया। इसरो ने ट्वीट किया कि एमओएक्स ए आईएसटीआरएसी यह चंद्रयान-3 है, मैं चंद्र गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं। ऑनबोर्ड मोटरों की फायरिंग शाम लगभग 7.15 बजे शुरू हुई और अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया।
ट्वीट में कहा गया कि ‘चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है। मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स), आईएसटीआरएसी , बेंगलूरु से पेरिल्यून में रेट्रो-बर्निंग का आदेश दिया गया था। इसरो ने कहा कि अगला ऑपरेशन-6 अगस्त, 2023 को लगभग 23 बजे के लिए निर्धारित है।
इसरो के सूत्रों ने कहा कि चंद्रयान-3 ने अब चंद्रमा की परिक्रमा शुरू कर दी है। इसरो ने कहा कि यह कार्रवाई उस समय की गई जब चंद्रयान-3 की कक्षा चंद्रमा के सबसे करीब पहुंचा। एक अगस्त को सफल टीएलआई के बाद, अंतरिक्ष यान आज चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेपवक्र से चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया।
उल्लेखनीय है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 14 जुलाई को प्रेक्षपण के बाद से पांच ऑर्बिट राइजिंग पूरा करने के बाद एक अगस्त की आधी रात को चंद्रयान -3 ट्रांसलूनर ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था। इसका 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना है।
एलओआई ने चंद्र-केंद्रित चरण की शुरुआत को चिह्नित किया, जिसके दौरान अंतरिक्ष यान चंद्रमा की चार बार परिक्रमा करेगा, और प्रत्येक कक्षा के साथ चंद्र सतह के और करीब आएगा।इससे पहले, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं…लैंडिंग एक या दो हफ्ते बाद होगी।
सिंह ने कहा कि जब यह चंद्र मंडल में जाता है तो यह बड़ी कक्षा और छोटी कक्षा लेता है, फिर यह सबसे भीतरी कक्षा में आता है और फिर समय चुना जाता है और लैंडिंग का सटीक स्थान भी चुना जाता है। सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए इस सटीक ब्रेकिंग तकनीकों की आवश्यकता होती है।
चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य भविष्य के अंतर-ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना है।