प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां हमारी विरासत : सुरेश सिंह रावत

एमडीएसयू में इंटरनेशनल कांफ्रेंस का समापन
पोस्टर और ओरल प्रेजेंटेशन के विजेता पुरस्कृत
अजमेर। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के वनस्पति तथा खाद्य एवं पोषण विभाग की ओर से आयोजित इनोवेटिव रिसर्च ऑन प्लांट-बेस्ड न्यूट्रास्यूटिकल्स और थेरैप्यूटिक्स अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और वैज्ञानिक शोध के बीच एक अदभुत संवाद का प्रतीक है।

भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों, जैसे आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग ने दुनिया भर में सम्मान प्राप्त किया है। यह हमारी विरासत हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश हम इन्हें कई बार पिछड़ा हुआ मानने की भूल कर बैठते हैं। हम भूल जाते हैं कि इन पद्धतियों ने न केवल हमारे पूर्वजों को स्वस्थ और दीर्घायु बनाया, बल्कि इन्हीं विधियों के आधार पर आज की दुनिया में बहुत से उपचार मिल रहे हैं।

कोरोना महामारी के दौरान हमने देखा कि हमारे पारंपरिक पौधे जैसे नीम, गिलोय और तुलसी ने स्वास्थ्य रक्षा में कितना योगदान दिया। ये पौधे न केवल हमारी रक्षा कर रहे थे, बल्कि उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि हमारे पारंपरिक उपाय आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ पूरी तरह से तालमेल बैठा सकते हैं।

हमारे देश में जैविक कृषि उत्पादों का उपयोग करने से न केवल हमारे पूर्वजों को स्वस्थ जीवन मिला, बल्कि उन्होंने दीर्घायु प्राप्त की। हालांकि, रसायनों के बढ़ते उपयोग ने आधुनिक कृषि उत्पादन को तो बढ़ाया, परंतु इसके दुष्प्रभाव भी पर्यावरण और जीवों पर देखने को मिल रहे हैं। इस संदर्भ में, हमें जैविक और पारंपरिक उपायों की ओर लौटने की आवश्यकता है।

मैं आप सभी से यह अपील करता हूं कि हमारे युवा वैज्ञानिकों को राजस्थान की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन पौधों और पेड़ों पर अनुसंधान करना चाहिए, जो इस क्षेत्र में स्वाभाविक रूप से उगते हैं। इन पौधों में न केवल कठोर विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की अदभुत क्षमता है, बल्कि इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले जैविक तत्व भी प्रचुर मात्रा में होते हैं।

अंत में, विश्वविद्यालय में शिक्षकों और स्टाफ की कमी पर चर्चा करते हुए कहा कि मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस विषय को लेकर मैं शीघ्र ही सरकार से बात करूंगा और इस मुद्दे का समाधान जल्द ही निकालेंगे। विश्वविद्यालय के सभी आयोजकों और विजेता प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि ऐसे आयोजन जारी रखने का आह्वान करता हूं, ताकि हम अपने राज्य स्तर, तहसील से गांव तक समाज के ऐसे कल्याणकारी ज्ञान को पहुंचा सके।

उन्होंने बाहर से आए प्रतिभागियों को पुष्कर आमंत्रित करते हुए कहा कि पुष्कर केवल ब्रह्मा जी की नगरी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अद्भुत संगम स्थल है, जहां विविध भौगोलिक, संस्कृतियाँ और ज्ञान का मिलन देखने को मिलता है। यह स्थल न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।

इससे पहले यूनिवर्सिटी पहुंचने पर कुलपति, रजिस्ट्रार और उप रजिस्ट्रार सहित विश्वविद्यालय परिवार ने मंत्री रावत की अगवानी की। रावत ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित किया। आयोजन सह सचिव प्रो. ऋतु माथुर ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन डॉ. सपना जैन ने किया।