मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुरू पूर्णिमा पर लिया संतों का आशीर्वाद

भरतपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुरू पूर्णिमा के पर्व पर रविवार को उपखण्ड सेवर के लुधावई गांव स्थित बड़ा हनुमान मंदिर में सपरिवार विधि-विधान से पूजा अर्चना कर गुरू पर्व पर संतों का आशीर्वाद लिया तथा देश-प्रदेश की खुशहाली की कामना भी की।

भजनलाल ने मंदिर महंत रामदास से चर्चा कर मंदिर के विकास के बारे में जानकारी लेते क्षेत्र में कराए जा रहे विकास कार्यों एवं राज्य सरकार द्वारा बजट में भरतपुर सहित प्रदेश के प्रमुख मंदिरों एवं धार्मिक स्थलों के संरक्षण के लिए किए गए प्रावधानों के बारे में चर्चा की।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने भरतपुर के बांसी स्थित पुलिस प्रशिक्षण स्कूल में हैलीपेड पर आमजन से मुलाकात कर उनकी कुशलक्षेम पूछ जनसुनवाई करते हुए परिवाद प्राप्त किए। इस अवसर पर सम्भागीय आयुक्त सावंरमल वर्मा, पुलिस महानिरीक्षक राहुल प्रकाश, जिला कलक्टर डॉ. अमित यादव, जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा एवं जनप्रतिनिधियों ने पुष्प गुच्छ प्रदान कर उनकी अगवानी की। विधायक वैर बहादुर सिंह कोली, विधायक कामां नौक्षम चौधरी, एडवोकेट मनोज भारद्वाज सहित जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

देवनानी ने गुरुजन का अभिनंदन कर आशीर्वाद लिया

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने रविवार को गुरु पूर्णिमा पर्व पर निंबार्क तीर्थ में अखिल भारतीय जगदगुरु श्री निंबाकाचार्य पीठ श्याम शरण देवाचार्य, अजमेर की राजगढ़ भैरव धाम में उपासक चंपालाल और जयपुर में अमरापुर आश्रम के गुरुदेव स्वामी सतगुरु भगत प्रकाश का अभिनंदन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

देवनानी ने इस अवसर पर कहा कि महाभारत एवं पुराणों के रचयिता और सम्पूर्ण वेद रचनाओं का चार संहिताओं में विभाजन करने वाले कीर्ति पुरुष श्री वेद व्यास की जन्म जयंती आषाढ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है।

उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं।

देवनानी ने कहा कि गुरु और शिक्षकों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। एक विद्यार्थी के जीवन में गुरु महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। गुरु के ज्ञान और संस्कार के आधार पर ही उसका शिष्य ज्ञानी बनता है। एक व्यक्ति गुरु का ऋण कभी नहीं चुका पाता है। संस्कार और शिक्षा जीवन के मूल स्वभाव है।

देवनानी ने कहा कि गुरु के ज्ञान का कोई तोल नहीं होता है। हमारा जीवन गुरु के अभाव में शून्य होता है। गुरु अपने शिष्यों से कोई स्वार्थ नहीं रखते हैं, उनका उद्देश्य सभी का कल्याण करना ही होता है।