भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत के लगभग चार दिन बाद नई सरकार के गठन पर बने हुए असमंजस के बीच अगले दो से तीन दिनों में मुख्यमंत्री पद को लेकर स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद जताई जा रही है।
इस बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि आरएसएस ने प्रदेश में मुख्यमंत्री कौन हो इस बात का फैसला अपने हाथ में ले लिया है। दिल्ली में सीएम को लेकर चल रहा मंथन औपचारिकता मात्र है। इस बात के संकेत शिवराज सिंह चौहान सीएम रेस से खुद के दूर होने का बयान देकर कर चुके हैं।
पूरी तस्वीर को लेकर आज नई दिल्ली में हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक के बाद कुछ हद तक इस असमंजस को लेकर स्थिति साफ हो सकती है। इसके पहले कल भी नई दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच अनौपचारक बैठकें हुईं हैं।
कल ही राज्य के उन सभी सांसदों, जिन्होंने हालिया विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है, ने सांसद पद से इस्तीफे दे दिए। ऐसे में अब मुख्यमंत्री पद को लेकर कई प्रकार की अटकलें लगाईं जा रही हैं।
राज्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा के अलावा पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुखता से सामने आ रहा है। इनमें से तोमर, पटेल, सिंधिया और शर्मा जहां इन दिनों दिल्ली में हैं, वहीं मुख्यमंत्री चौहान लगातार राज्य में स्थान-स्थान पर प्रवास कर रहे हैं।
उधर, सूत्र बता रहे हैं कि आरएसएस ने चुनाव प्रचार की कमान तक अपने हाथ में थामी हुई थी। संघ के निर्देशन में ही भाजपा की जीत की रणनीति तैयार की गई। चुनाव के दौरान बडे नेताओं से लेकर निचले स्तर तक आरएसएस ही जिम्मा संभाले रहा। बीजेपी की दमदार जीत के पीछे आरएसएस का हाथ माना जा रहा है। जानकारों की माने तो संघ ने जिस तरह सीधे राजनीति क्षेत्र में खुलकर दखल दिया है इससे साफ जाहिर है की मुख्यमंत्री कौन होगा इसका फैसला भी वही करेगा।
तीन दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में राज्य में भाजपा को ऐतिहासिक बहुमत प्राप्त हुआ है। राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 163 भाजपा के खाते में गई हैं। कांग्रेस को महज 66 सीटें प्राप्त हुई हैं। एक सीट सैलाना अन्य के खाते में कई है।
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