कांग्रेस को नई दिशा देने के लिए गुजरात अधिवेशन में तीन प्रस्ताव पारित

अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में संपन्न दो दिवसीय अधिवेशन के अंतिम दिन आज तीन प्रस्ताव पारित किए गए जिनका मक़सद कांग्रेस को जुझारू रूप से काम करते हुए तानाशाही के खिलाफ लड़ने, गुजरात की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के लिए जनता से जुड़े मुद्दों को आक्रामकता से उठाने और सरदार पटेल तथा गांधी की विरासत हड़पने के भारतीय जनता पार्टी के मंसूबों पर पानी फेरना है।

सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच टकराव के मुद्दे को प्रचारित करने की भाजपा की प्रयासों को रोकने के लिए पार्टी ने अधिवेशन की पहले दिन अपनी सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया था और आज उसे अधिवेशन में पारित कर दिया गया।

न्यायपथ प्रस्ताव को कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने अधिवेशन में रखा जिसका पार्टी नेता शशि थरूर ने समर्थन किया। इस पर 30 से ज्यादा सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए। गुजरात में कांग्रेस की वापसी से संबंधित विधेयक गुजरात विधानसभा के सदस्य जिग्नेश मेवाणी ने पेश किया जिसके समर्थन में 20 से अधिक सदस्यों ने अपने विचार रखें। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वक्तव्य से पहले इन तीनों प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।

कांग्रेस ने गुजरात अधिवेशन में महात्मा गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने की शताब्दी वर्ष में तथा सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वें जयंती वर्ष में न्यायपथ प्रस्ताव पारित किया है। न्याय पद प्रस्ताव में कहा गया है कि जब संगठन एकजुट होकर काम करता है तो क्रूर से क्रूर शासक को भी सत्ता से बेदखल कर देता है। इस प्रस्ताव में संकल्प लिया गया है कि कांग्रेस एकजुट होकर सत्ता धारी भाजपा का मुकाबला करेगी और उसकी अन्याय के खिलाफ देश को न्याय दिलाएगा और नफरत नकारात्मकता और निराशा की वातावरण को बदलकर न्याय तथा संघर्ष के रास्ते पर चलकर जनहित के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करेगी।

प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि सत्ताधारी दल द्वारा सत्ता का दुरुपयोग कर नाजायज दबाव बनाकर संस्थानों पर हमला किया जा रहा है। मणिपुर में संविधान के धज्जियां उड़ाई जा रही है। न्यायाधीश के घर में बड़ी मात्रा में नोटों का पाया जाना चिंताजनक है और इससे न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।

कांग्रेस अधिवेशन में दूसरा प्रस्ताव गुजरात को लेकर के पारित किया गया है जिसमें संकल्प लिया गया है कि गुजरात में लोकतंत्र ध्वस्त हो रहा है उसे बहाल किया जाएगा, युवाओं को नौकरी दी जाएगी और महिलाओं की अधिकारों को संरक्षित किया जाएगा। प्रस्ताव में संकल्प लिया गया है कि कांग्रेस को सत्ता में लाना है और भाजपा की तीन दशक के अन्यायपूर्ण शासन से जनता को मुक्ति दिलानी है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रदेश कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित करने और समाज के सभी वंचित वर्गों का विकास करने के लिए पार्टी प्रतिबद्ध हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि टेक्नोलॉजी की मदद से एक आधुनिक और विकसित गुजरात के निर्माण के लक्ष्य को साधना है जिसमें कृषि, औद्योगिक सेवा क्षेत्र, महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित कर महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का उन्मूलन करना है। इसके लिए साबरमती के तट पर संकल्प लेकर अपने आप को समर्पित करके सेवा की साधना के लिए संघर्ष करेगा।

अधिवेशन में तीसरा प्रस्ताव भाजपा के सरदार पटेल और नेहरू की बीच टकराव के मुद्दे को उछालकर सरदार पटेल को कांग्रेस से छीनने की प्रयासों को रोकने के लिए लाया गया है और कहा गया है कि सरदार पटेल कांग्रेस की विरासत है और कांग्रेस अपनी राहत सरदार पटेल की विचारों के अनुसार प्रशस्त करेगी। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि सरदार पटेल और पंडित जवाहरलाल नेहरू की बीच अत्यंत निकटतम मैत्रीपूर्ण और देश की प्रगति के लिए गहन सामंजस्यपूर्ण संबंध थे।