जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने केन्द्रीय बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि इसमें राजस्थान को कुछ नहीं मिला है।
गहलोत ने शनिवार को लोकसभा में पेश किए गए केन्द्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अब केन्द्र सरकार 2022 तक देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के वादे का जिक्र क्यों नहीं करती है। यह बजट लगातार बढ़ते व्यापार घाटे, डॉलर के बढ़ते मूल्य, बेरोजगारी और महंगाई से कोई राहत दिलाने वाला नहीं है।
आज केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली और बिहार चुनाव को मद्देनजर करते हुए घोषणाएं ज्यादा की गईं जो देश पर कर्ज का बोझ बढ़ाने वाली साबित होगी। उन्होंने कहा कि यह भी बेहद आश्चर्यजनक है कि देश के सामने वर्तमान की सबसे बड़ी चुनौतियों महंगाई एवं बेरोजगारी का इस बजट में जिक्र तक नहीं है जबकि तमाम एजेंसियों के आंकड़ें बता रहे हैं कि देश में महंगाई और बेरोजगारी आज रिकॉर्ड स्तर पर हैं।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान पर बार-बार आरोप लगाए गए कि यहां जल जीवन मिशन में धीमा काम हो रहा है जबकि हमारे यहां की भौगोलिक परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण हैं। आज केन्द्र सरकार ने ही इस मिशन की समयसीमा 2028 तक बढ़ा दी है जो पहले 2022 एवं फिर 2024 की गई थी। इससे साफ होता है कि केन्द्र सरकार ने पहले बिना प्लानिंग के इस योजना को शुरू कर दिया जिसके कारण इसकी समयसीमा बार-बार बढ़ाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनता को उम्मीद थी कि आज ईआरसीपी और यमुना जल समझौते को लेकर केन्द्र सरकार कोई बड़ी घोषणा करेगी और इन्हें राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देगी परन्तु पूरे बजट में राजस्थान राज्य का नाम तक ही नहीं लिया गया है।
गहलोत ने कहा कि एक तरफ सरकार ने आयकर सीमा 12 लाख रुपए करने की घोषणा की है परन्तु इसे केवल नौकरीपेशा वर्ग तक सीमित किया है जबकि भारत में करोड़ों छोटे व्यापारी हैं जिन्हें इस छूट में शामिल करना चाहिए था क्योंकि वो पहले ही जीएसटी से परेशान हैं।
गहलोत ने कहा कि हरियाणा और पंजाब के बॉर्डर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन जारी है और उनके साथ महीनों से आंदोलनरत किसानों को उम्मीद थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने की घोषणा की जाएगी लेकिन बजट में ऐसा नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान के अखबारों में रोज एमएसपी के बिना फसलों की खरीद के समाचार छप रहे हैं। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वाली सरकार एमएसपी पर चुप क्यों हो जाती है।
उन्होंने कहा कि आज सबको उम्मीद थी कि 11 साल से पेट्रोल- डीजल पर जनता को टैक्स लगाकर लूटा जा रहा है पर बजट में इस पर कोई राहत नहीं मिली बल्कि गैस सब्सिडी को भी कम कर दिया गया है। इसका सीधा अर्थ है कि आने वाले दिनों में गरीब परिवारों को महंगी रसोई गैस खरीदनी पड़ेगी।
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