नई दिल्ली। कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि गुजरात में सूरत की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर जो फैसला दिया है वह कानून सम्मत नहीं है और पार्टी जल्द ही इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देगी।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट के फैसले को लेकर दायर स्थगन याचिका के खारिज किए जाने के बाद आज पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के विकल्प पार्टी के पास हैं। विकल्पों का इस्तेमाल कब किया जाएगा इसकी बाद में जनकारी दी जाएगी। उनका कहना था कि सूरत की अदालत का फ़ैसला कानूनी तौर पर गलत है और पार्टी जल्द ही इस निर्णय को चुनौती देगी।
उन्होंने कहा कि हमारे पास जितने भी कानूनी विकल्प हैं, उसमें हम अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करेंगे। उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के पास व्यापक अधिकार हैं और उन अधिकारों के मद्देनजर जो गलत कारणों से, गलत कानूनी आधार पर जो दो निर्णय सूरत की निचली अदालत से आए हैं उनको चुनौती दी जाएगी और गलती को ठीक किया जाएगा।
सिंघवी ने कहा की इस मामले में निर्णय देने से पहले अदालत को देखना चाहिए था कि मामला कर्नाटक के कोल्लार का है और मानहानि का मुकदमा सूरत की अदालत में दायर हुआ है। फैसला देते समय अदालत को मामले के अधिकार क्षेत्र पर भी ध्यान देना चाहिए था।
गौरतलब है कि सूरत की अदालत ने गांधी को ‘मोदी सरनेम’ वाले बयान पर आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी लेकिन ने दोषसिद्धी के इस फ़ैसले पर गांधी ने रोक लगाने की अपील की थी जिसे अदालत ने आज खारिज कर दिया। अदालत ने याचिका पर 13 अप्रैल को सुवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सिंघवी ने फैसले के बाद कहा कि यदि कोई समझता है कि राहुल गांधी की आवाज रुकेगी-झुकेगी, तो साफ है कि वह न राहुल गांधी को जानते हैं और ना ही कांग्रेस को समझते हैं। राहुल गांधी जी स्पष्ट और सच बोलते हैं। वह अपनी आवाज़ पुरजोर तरीके से सबके सामने रखेंगे।
उन्होंने कहा कि जो ओबीसी के अपमान की बात कह रहे हैं अब उसका उल्टा असर हो रहा है। ओबीसी वर्ग भी समझ चुका है कि मोदी और भजपा राजनीतिक रूप से उनके नाम का दुरुपयोग कर रही है।