पानी में कितना सामर्थ्य होता है इसका था एक अनुभव : मोदी

जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पानी को पारस की तरह बताते हुए कहा है कि उनके गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में सेवा करते समय जब नर्मदा का पानी राजस्थान को देने पर उन्हें राजस्थान की जनता की तरफ से जो आदर मिला तब पता चला कि पानी में कितना सामर्थ्य होता है इसका वह एक अनुभव था।

मोदी मंगलवार को यहां भारतीय जनता पार्टी की भजनलाल सरकार के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि माता नर्मदा आज राजस्थान के जालौर, बाड़मेर, चूरु, झुंझुनूं, जोधपुर, नागौर, हनुमानगढ़, ऐसे कितने ही जिलों को नर्मदा का पानी मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि मुझे याद है, मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करता था, तब वहां सरदार सरोवर डेम पूरा हुआ, मां नर्मदा का पानी गुजरात के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाने का बड़ा अभियान चलाया, कच्छ में सीमा तक पानी ले गए। लेकिन तब उसे रोकने के लिए भी कांग्रेस द्वारा और कुछ गैर सरकार संगठनों के द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए। लेकिन हम पानी का महत्व समझते थे। और मेरे लिए तो मैं कहता हूं पानी पारस है, जैसे पारस लोहे को स्पर्श करे और लोहा सोना हो जाता है, वैसा पानी जहां भी स्पर्श करे वो एक नई ऊर्जा और शक्ति को जन्म दे देता है।

उन्होंने कहा कि पानी पहुंचाने के लिए इस लक्ष्य पर मैं लगातार काम करता रहा, विरोधों को झेलता रहा, आलोचनाएं सहता रहा लेकिन पानी के महत्व को समझता था। नर्मदा के पानी का लाभ सिर्फ गुजरात को ही मिले इतना नहीं नर्मदा नदी का पानी राजस्थान को भी इसका फायदा हो और कभी कोई तनाव नहीं, कोई रुकावट नहीं, कोई मेमोरेंडम नहीं, आंदोलन नहीं जैसे ही डेम का काम पूरा हुआ, और गुजरात को हो जाए उसके बाद राजस्थान को देंगे वो भी नहीं, एक साथ गुजरात में भी पानी पहुंचाना, उसी समय राजस्थान को भी पानी पहुंचाना, यह काम हमने शुरू किया।

मुझे याद है जिस समय नर्मदा का पानी राजस्थान में पहुंचा, राजस्थान के जीवन में एक उमंग और उत्साह था। और उसके कुछ दिन बाद अचानक मैं, मुख्यमंत्री के कार्यालय में मैसेज आया कि भैरों सिंह जी शेखावत और जसवंत सिंह जी वो गुजरात आए हैं और मुख्यमंत्री जी को मिलना चाहते हैं। अब मुझे पता नहीं था वो आए हैं, किस काम के लिए आए हैं। लेकिन वो मेरे दफ्तर आए, मैंने पूछा कैसे आना हुआ, आपको मिलने आए हैं।

मेरे वरिष्ठ नेता थे दोनों, भैरोंसिंहजी की तो उंगली पकड़कर के हम कई लोग बड़े हुए हैं। और वो आकर के मेरे सामने बैठे नहीं हैं, वो मेरा सम्मान करना चाहते थे, मैं भी थोड़ा भौचक्का था। लेकिन उन्होंने मेरा मान-सम्मान तो किया, पर वो दोनों इतने भावुक थे, उनकी आंखें नम हो गई थी। और उन्होंने कहा मोदी जी आपको पता है पानी देने का मतलब क्या होता है, आप इतनी सहज-सरलता से गुजरात नर्मदा का पानी राजस्थान को दें दें, ये बोल, ये मेरे मन को छू गया। और इसीलिए करोड़ राजस्थान वासियों की भावना को प्रकट करने के लिए आज मैं आपके दफ्तर तक चला आया हूं। उन्होंने कहा कि पानी में कितना सामर्थ्य होता है इसका एक अनुभव था।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां कहा जाता था कि नर्मदा जी में स्नान करें, नर्मदा जी की परिक्रमा करें तो अनेक पीढ़ी का पाप धुलकर के पुण्य प्राप्त होता है। लेकिन विज्ञान का कमाल देखिए, कभी हम माता नर्मदा की परिक्रमा करने जाते थे, आज स्वयं माता नर्मदा परिक्रमा करने के लिए निकली है और हनुमानगढ़ तक चली जाती है। नदियों को जोड़ने की ताकत क्या होती है वो मैं गुजरात में करके आया हूं। आज नर्मदा के पानी से साबरमती जिंदा हो गई और अहमदाबाद में रिवर फ्रंट आप देख रहे हैं। ये नदियों को जोड़ने से ये ताकत है और मैं राजस्थान का वैसा ही सुंदर दृश्य मेरी आंखों में कल्पना कर सकता हूं।

मोदी ने कहा कि मैं वो दिन देख रहा हूं जब राजस्थान में पानी की कमी नहीं होगी, राजस्थान में विकास के लिए पर्याप्त पानी होगा। पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना, इससे राजस्थान के 21 जिलों में सिंचाई का पानी भी मिलेगा और पेयजल भी पहुंचेगा। इससे राजस्थान और मध्य प्रदेश, दोनों के विकास में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि आज ही ईसरदा लिंक परियोजना का भी शिलान्यास हुआ है। ताजेवाला से शेखावाटी के लिए पानी लाने पर भी आज समझौता हुआ है। इस पानी से, इस समझौते से भी हरियाणा और राजस्थान दोनों राज्यों को फायदा होगा। उन्हें विश्वास है कि राजस्थान में भी जल्द से जल्द शत-प्रतिशत घरों तक नल से जल पहुंचेगा।

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