कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बजट को बताया पूरी तरह दिशाहीन

जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में पेश बजट को पूर्णतया दिशाहीन बताया है।

डोटासरा ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बजट में किसानों के लिए एमएसपी, कृषि लागत कम करने, आमजन को महंगाई से राहत देने एवं गरीब को 25 लाख रुपए तक का नि:शुल्क इलाज देने का कोई प्रयास नहीं दिखा है।

उन्होंने कहा कि बजट में किसानों, महिलाओं, युवाओं, नौकरीपेशा एवं मध्यमवर्ग के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की भी उपेक्षा की गई है। भारतीय जनता पार्टी सरकार बजट में वे सारे वादे भूल गई, जिनकी घोषणा उन्होंने अपने संकल्प पत्र में की थी। इस बजट में उन घोषणाओं की क्रियान्विति धरातल पर दूर-दूर तक नज़र नहीं आती है।

महंगाई, बेरोजगारी कम करने के कोई ठोस कदम नहीं : पायलट

कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने कहा कि राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी सरकार से जनता को उम्मीद थी कि लगातार बढ़ रही महंगाई और बेरोजगारी को कम करने के लिये बजट में कोई ठोस कदम उठाये जाएंगे, लेकिन आज प्रस्तुत बजट से प्रदेश की जनता को विशेषकर मध्यम वर्ग, किसान, युवाओं को निराशा ही हाथ लगी है।

पूर्व उप मुख्यमंत्री पायलट ने प्रदेश की भाजपा सरकार के पहले पूर्ण बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणा के बाद देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दर वाले राजस्थान की बेरोजगारी दर को कम करने का सरकार द्वारा बजट में कोई रोड़मैप प्रस्तुत नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि सरकार को बेरोजगारी को कम करने के लिए अगले पांच सालों में चार लाख भर्तियां करने का संकल्प मात्र लेने के स्थान पर इसके लिए ठोस कार्य योजना प्रस्तुत करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी भत्ते पर बजट में चुप्पी साध ली गई है, जिससे सरकार की मंशा पर सवाल उठते हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में महंगाई को कम करने के लिए भी बजट में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई को कम के लिए कोई काम नहीं किया गया है। केन्द्र एवं प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद पेट्रोल, डीजल, केरोसीन के दामों को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

पायलट ने कहा कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल परियोजना (ईआरसीपी) के प्रथम चरण के कार्य आदेश क्या भारत सरकार द्वारा दोनों राज्यों की सहमति और राष्ट्रीय परियोजना घोषित हुए बिना तथा केंद्र से 90 प्रतिशत फंडिंग के बिना कर दिए। केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि का बजट भाषण में कोई उल्लेख नहीं है और न ही यह उल्लेख है कि ईआरसीपी और यमुना परियोजना के लिए केंद्र सरकार से इस वर्ष क्या सहयोग मिलेगा।

उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों पर कर्ज का बार-बार उल्लेख किया गया है, लेकिन भाजपा सरकार इस कर्ज को किस तरह कम करेगी, इसका कोई रोडमैप बजट में नहीं रखा गया है। नये उद्योग हब बनाये जाने के साथ साथ वर्तमान एमएसएमई उद्योगों को घाटे से बाहर लाने के लिये कोई दृष्टिकोण प्रस्तुत नहीं किया है। उन्होंने कहा कि जिन बड़ी योजनाओं की घोषणाएं की गई हैं, उनमें से अधिकतर योजनाओं पर इस वर्ष बहुत कम व्यय होना दिखाई देता है।

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