लंदन। चेक गणराज्य की संवैधानिक न्यायालय ने अमरीका स्थित खालिस्तानी अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नुन की हत्या की कथित साजिश को लेकर अमरीका में प्रत्यर्पण के खिलाफ भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता की याचिका खारिज कर दी है।
प्राग की जेल में बंद निखिल पर अमरीकी सरकार ने न्यूयॉर्क में पन्नुन की हत्या के लिए एक हमलावर को नियुक्त करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार उसके प्रत्यर्पण पर अंतिम निर्णय चेक न्याय मंत्री द्वारा लिया जाएगा। निखिल के खिलाफ आरोपों में 20 साल तक की जेल का प्रावधान है।
अमरीकी अभियोजकों ने नवंबर 2023 में निखिल गुप्ता पर पन्नून सहित उत्तरी अमरीका में कम से कम चार सिख अलगाववादियों को मारने की साजिश रचने का आरोप लगाया। अमरीकी संघीय अभियोजकों ने निखिल पर एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ मिलकर पन्नुन की हत्या की नाकाम साजिश रचने का आरोप लगाया।
भारत ने आरोपों को खारिज कर दिया है और निखिल के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। अमरीका-कनाडा की दोहरी नागरिकता रखने वाला पन्नुन भारत में आतंकवाद के आरोप में वांछित है। भारतीय गृह मंत्रालय ने उसे आतंकवादी घोषित कर रखा है।
गौरतलब है कि पिछले महीने भारत सरकार ने वाशिंगटन पोस्ट की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसमें भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के एक अधिकारी को कथित तौर पर अमरीका में पन्नुन को मारने की असफल कोशिश में शामिल बताया गया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने वाशिंगटन पोस्ट की उस रिपोर्ट को अनुचित और अप्रमाणित आरोप बताते हुए खारिज कर दिया, जिसमें रॉ अधिकारी विक्रम यादव के कथित तौर पर अमरीकी धरती पर पन्नुन की हत्या की असफल साजिश में शामिल बताया गया था और इस अभियान को एजेंसी के तत्कालीन प्रमुख सामंत गोयल ने मंजूरी दी थी।
जायसवाल एक बयान में कहा कि अमरीका की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं की भारत सरकार द्वारा गठित एक उच्च-स्तरीय समित जांच कर रही है तथा इस मामले में अटकलें और गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां मददगार नहीं होंगी।