जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन में बिजली कम्पनियों पर कर्ज का भार बढ़ जाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि बिजली के क्षेत्र में अग्रणी राजस्थान पिछले पांच वर्षों में पिछडकर देश के कई राज्यों से पीछे चला गया है।
डा चतुर्वेदी ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा कि अब तो स्थिति यह बन रही है कि प्रदेश की बिजली कम्पनियों के पास कर्मचारियों की तनख्वाह के लाले पड रहे हैं वहीं कमजोर मैनेजमेंट के कारण इसी सीजन में तीसरी बार बिजली कटौती के हालात पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि गहलोत के बिजली को लेकर चले लचर प्रबन्धन के कारण बिजली वितरण कम्पनियों का कर्ज भी 1.10 लाख करोड से अधिक हो गया है और इन कम्पनियों को ऋण पर ब्याज चुकाने के लिए भी ऋण लेना पड रहा है।
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि मानसून सीजन के दौरान गत अगस्त में बारिश थम जाने के बाद राज्य सरकार किसानों को बिजली देने में विफल साबित हुई। इसके कारण समय पर सिंचाई नहीं हो पाने से किसानों की हजारों बीघा पर खडी फसलें तबाह हो गई। बारिश बंद होने के बाद किसानों को उम्मीद थी कि समय पर बिजली मिलने से नलकूप और कुंओ से सिंचाई हो जाएगी लेकिन राज्य सरकार ने किसानों को बिजली भी उपलब्ध नहीं कराई। किसानों ने बिजली की मांग को लेकर प्रदर्शन किया तो देशव्यापी कमी की बात कहकर सरकार ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड लिया। साथ ही पूरे अगस्त में राज्य के आम आदमी को बिजली की कटौती का सामना करना पडा है।
उन्होंने कहा कि इसके बाद एक बार फिर बिजली प्रबन्धन फेल हो जाने के कारण उद्योगों पर कटौती के आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के बिजली को लेकर पिछले पांच सालों में कुप्रबन्धन के कारण राजस्थान के इतिहास की सबसे ज्यादा फ्यूल सरचार्ज की वसूली की गई है। पिछले तीन साल में सरकार करीब 15 बार फ्यूल सरचार्ज की वसूली कर चुकी है।
उन्होंने कहा कि आम आदमी को 24 घंटे बिजली देने का वादा करने वाली कांग्रेस सरकार राज्य में लोगों को 20 घंटे बिजली देने में भी विफल साबित हुई है। इसके अलावा कृषि कार्यों के लिए भी इस शासन में किसानों को छह घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिल पाई है।