छात्र नेता से मुख्यमंत्री बनीं रेखा गुप्ता का राजनीतिक सफर है लम्बा

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रिय सदस्य रहीं रेखा गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से अपना सार्वजनिक जीवन प्रारंभ कर गुरुवार को दिल्ली की नौवीं मुख्यमंत्री बनी।

गुप्ता (50) का जन्म हरियाणा में जींद जिले के नंदगढ़ गांव में 1974 हुआ था। उनके पिता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी पद पर थे। वर्ष 1976 में गुप्ता का परिवार दिल्ली में शिफ्ट हो गया। उस समय उनकी उम्र महज दो साल थी। इसके बाद उन्होंने प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा राष्ट्रीय राजधानी तथा उत्तर प्रदेश के मेरठ से पूरी की। उन्होंने बीकॉम की उपाधि दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से हासिल की, जबकि मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से 2022 में एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।

गुप्ता पहली बार विधायक बनी हैं, लेकिन उनका राजनीति सफर काफी लंबा रहा है। उन्होंने राजनैतिक करियर 1992 में भारतीय जनता पार्टी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से शुरू की थी। अभाविप ने एक सक्रिय छात्र कार्यकर्ता के रूप में गुप्ता की काबिलियत को पहचाना गया और उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव लड़ने का मौका दिया।

उन्होंने पहला चुनाव 1994 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में लड़ा था और सचिव निर्वाचित हुई थीं। गुप्ता 1994 डूसू की सचिव चुनी गई थी और 1996 में डूसू की अध्यक्ष निर्वाचित हुई थी।

उन्होंने 2003 और 2004 में भाजपा युवा मोर्चा राज्य सचिव के रूप में भी काम किया। फिर 2004-2006 तक भाजपा युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव भी बनाई गई। वह आरएसएस की सक्रिय सदस्य रही हैं। गुप्ता 2007 में उत्तर पीतमपुरा से पार्षद बनीं और 2007-09 तक दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में महिला कल्याण एवं बाल विकास समिति की अध्यक्ष रहीं।

वह 2009 में दिल्ली भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव रहीं और वर्ष 2010 में भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य की जिम्मेदारी संभाली। गुप्ता 2012 उत्तरी पीतमपुरा वॉर्ड-54 से फिर पार्षद निर्वाचित हुई। इसके बाद उन्होंने 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाया, लेकिन असफलता हाथ लगी।

गुप्ता को 2015 शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी की वंदना कुमारी ने करीब 11 हजार वोटों से और 2020 में 3400 वोटों से हराया। वर्ष 2025 के विधानसभा चुनाव में गुप्ता ने शालीमार बाग विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी की वंदना कुमारी को 29,595 वोटों से हराकर पहली बार विधानसभा पहुंची और मुख्यमंत्री बनीं।

गुप्ता की 1998 में मनीष गुप्ता से शादी की थी। चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के मुताबिक गुप्ता के पति एक लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में काम करते हैं। साथ ही उनका स्पेयर पार्ट्स का भी कारोबार है।

कांग्रेस से कालकाजी सीट से प्रत्याशी रही अलका लांबा में रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री चुने जाने पर बधाई दी और उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र यूनियन में उनके साथ काम की 30 साल पुरानी याद को एक ऑडियो वीडियो के माध्यम से पोस्ट में साझा किया।

उन्होंने कहा कि किस तरह वह यूनियन की अध्यक्ष और गुप्ता महासचिव के रूप में एक ही टीम में काम किया था और किस तरह दोनों अपनी-अपनी वैचारिक धारा पर कायम रहते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना और प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव के पास एक साथ मिलकर छात्रों के हित की बातें उठाई थीं। उन्होंने उस समय की दोनों की एक तस्वीर काे भी साझा किया।

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