नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उनकी तीव्र मधुमेह और रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के माध्यम से प्रतिदिन 15 मिनट के लिए डॉक्टर से परामर्श लेने की याचिका खारिज कर दी।
केजरीवाल ने अपनी पत्नी को भी वीसी में शामिल होने की अनुमति देने की मांग की थी। राउज़ एवेन्यू अदालत की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी और कहा कि तिहाड़ जेल उनके चिकित्सा मुद्दों की देखभाल के लिए पूरी तरह सुसज्जित है।
अदालत ने जेल अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि यदि केजरीवाल को विशेषज्ञ परामर्श की आवश्यकता होती है, तो उन्हें सभी आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान किए जाएं। अदालत ने तिहाड़ अधिकारियों को केजरीवाल के शर्करा स्तर की निगरानी के लिए एम्स के निदेशक की मदद से एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि एम्स द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड श्री केजरीवाल को इंसुलिन देने के बारे में फैसला करेगा और उनके लिए आहार और व्यायाम योजना निर्धारित करेगा। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के साथ अन्य कैदियों से अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा कि उपचार के अनुरोध की अनुमति केवल तभी दी जा सकती है जब जेल अधिकारी आवेदक को अपेक्षित चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने में असमर्थ हों। हालांकि, अदालत ने केजरीवाल को घर का बना खाना खाने की अनुमति दी, जो मेडिकल बोर्ड द्वारा निर्धारित आहार के अनुसार होगा।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल जानबूझकर अपना शुगर लेवल बढ़ाने के लिए जेल में आम, मिठाई और चीनी वाली चाय ले रहे हैं और आरोप लगाया कि वह जमानत के लिए आधार बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। हालांकि, केजरीवाल ने ईडी के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि घर के बने कुल 48 भोजन में से केवल तीन बार उन्हें आम भेजे गए।
न्यायाधीश ने कहा कि तिहाड़ जेल अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि डॉक्टर चौबीस घंटे जेल में तैनात हैं और केजरीवाल के रक्त शर्करा के स्तर को दिन में दो बार मापा जा रहा है। केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च की रात को गिरफ्तार किया था। उनकी न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल को समाप्त हो रही है।