आबकारी नीति कथित घोटाला, सुप्रीम कोर्ट ने विजय नायर को दी जमानत

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाला मामले के आरोपियों में शामिल आम आदमी पार्टी के संचार विभाग के प्रभारी विजय नायर को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज धन शोधन के मुकदमे में सोमवार को जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिकाकर्ता नायर के 23 महीने से हिरासत में होने और इस मामले में सुनवाई में देरी को मुख्य आधार मानते हुए जमानत याचिका मंजूर की। पीठ ने कहा कि ईडी आश्वासन के बावजूद समय पर सुनवाई पूरी नहीं कर पाई और अभी करीब 350 गवाहों से पूछताछ की जानी है। आगे कहा कि याचिकाकर्ता 23 महीने से हिरासत में है। मुकदमा सजा नहीं बन सकता।

शीर्ष अदालत ने नायर को जमानत पर रिहा करते हुए कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता 23 महीने से हिरासत में है और मुकदमा शुरू हुए बिना विचाराधीन कैदी के रूप में उसकी कैद सजा का तरीका नहीं हो सकती। अगर याचिकाकर्ता को मुकदमा शुरू किए बिना जेल में रखा जाता है तो जमानत नियम है और जेल अपवाद है यह सार्वभौमिक नियम विफल हो जाएगा।

पीठ ने कहा कि जब मनीष सिसोदिया (दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री) का मामला इस अदालत में आया था, तब ईडी ने आश्वासन दिया था कि छह से आठ महीने के भीतर सुनवाई पूरी कर ली जाएगी, लेकिन देखा जा सकता है कि अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है। ईडी ने 30 अक्टूबर 23 को 6-8 महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने का आश्वासन दिया था।, लेकिन यह देखा गया है कि 40 लोगों को आरोपी बनाया गया और अभियोजन पक्ष करीब 350 गवाहों से पूछताछ करना चाहता है।

नायर को दिल्ली आबकारी नीति मामले से जुड़े जांच में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज मुकदमे में नवंबर 2022 में जमानत मिल गई थी। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी। इसके बाद ईडी और सीबीआई ने कथित घोटाले के संबंध में अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए थे।

नायर पर आरोप है वह 100 करोड़ रुपए की कथित रिश्वत की राशि कुछ नेताओं और अधिकारियों को हस्तांतरित या वितरित में शामिल थे। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल जुलाई में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया, इसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।