अजमेर। राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 812 वें सालाना उर्स का संदेश देते दिल्ली महरौली स्थित ख्वाजा कुतुबुद्दीन की दरगाह से पैदल मार्च करते कलंदरों का जत्था शुक्रवार को अजमेर शरीफ पहुंचा।
देश के विभिन्न राज्यों के करीब दो हजार कलंदरों के दल ने अजमेर दरगाह में छड़ी और निशान पेश किए। अजमेर में गंज स्थित चिल्ला से छड़ियों एवं निशान का जुलूस निकाला गया। जो गंज, दिल्लीगेट, धानमंडी, मोतीकटला, दरगाह बाजार होता हुआ दरगाह के निजाम गेट पहुंचा। रास्ते में ढोल, ताशे की थाप पर हैरतअंगेज करतब दिखाते हुये चल रहे थे। साथ ही ख्वाजा की शान में जयघोष और कव्वाली का दौर भी चला।
कलंदरों के जुलूस और उनके करतबों को देखने के लिये राहगीरों का हुजूम उमड़ पड़ा। जिससे पूरे रास्ते यातायात बाधित रहा और जाम लग गया और इससे स्थानीय नागरिकों को परेशानी उठानी पड़ी। सर्दी के मौसम और जल्दी अंधेरा होने को देखते हुए यह जुलूस शाम के बजाय दोपहर में ही निकाला गया।
दरगाह पहुंचने पर खादिमों की संस्था अन्जुमनों की ओर से कलंदरों का इस्तकबाल किया गया और सभी ने इतमिनान से दिल्ली से लाये झंडे, छड़ियां और निशान पेश कर गरीब नवाज की बारगाह में दुआ की।
सभी कलंदर अब छठी के कुल की रस्म के समय एक बार फिर से दरगाह में एकत्रित होंगे और दागोल की रस्म अदा करेंगे। अंजुमन इन सब की दस्तारबंदी कर तबर्रुक के साथ विदाई देगी। उर्स से कलंदर अपने राज्य को लौट जाएंगे। उल्लेखनीय है कि कलंदरों का यह जत्था 31 दिसंबर को महरौली दिल्ली से रवाना हुआ था और आज सुबह ही अजमेर शरीफ पहुंचा।