नागौर/बीकानेर/पाली। नागौर जिले के गांंठीलासर से बीकानेर के बंबलू गांव में आई बरात में व्यवसायी दुल्हा चुन्नीलाल जांगिड़ और उसके पिता मोतीलाल बरड़वा ने वधु वंदना के पिता द्वारा शादी की रस्म के दौरान बेटी को दहेज देते समय और विदाई के समय जमाई को शगुन स्वरूप नेग में रूपए देते समय वर पक्ष ने दहेज और नेग दोनों लेने से मना कर दिया।
विवाह के दौरान एवं विदाई के समय अपने समधी की यह पहल देखकर वधु के पिता मोतीलाल आसदेव की आंखे छलक आई। भावातिरेक हो उन्होंने अपने समधी को गले लगाकर इसकी मुक्त कंठ से सराहना की। फिर दोनों पक्ष के लोगों की आपसी सहमति से दहेज और नेग मुक्त विवाह कर समाज संस्थाओं के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया गया। यह दृश्य देखकर उपस्थित समाज बंधुओं, बरातियों एवं घरातियों में दुल्हे और उसके पिता की त्याग भावना एवं संस्कार की सर्वत्र मुक्त कंठ से सराहना करने लगे।
जांगिड़ समाज के एंकर त्रिलोक मांकड़ ने बताया कि दुल्हे चुन्नीलाल और उसके पिता का कहना है कि जब एक पिता अपनी कन्या हमें दान करता है तो उससे बढ़कर हमारे लिए और किसी लोकिक वस्तु की आवश्यकता नहीं है। हमारे लिए कन्या ही देवी स्वरूप साक्षात लक्ष्मी है। उपस्थित समाज बंधुओं ने इस बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर यह भावना समाज के हर व्यक्ति में व्याप्त हो जावे तो समाज से दहेज प्रथा का समूल नाश हो सकता है।
आज जबकी गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपनी बेटी के विवाह में दहेज को लेकर चिन्तित होता है ऐसे में गठीलासर नागौर के बरड़वा परिवार का आदर्श उदाहरण समाज के सामने एक नई मिसाल है।
श्री विश्वकर्मा शिक्षा समिति सम्पूर्ण पाली जिला संरक्षक भंवरलाल गुगरीयां, अध्यक्ष भंवरलाल आसदेव, अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा जिला शाखा पाली अध्यक्ष ओमप्रकाश जांगिड, प्रचार मंत्री घेवरचन्द आर्य, श्री विश्वकर्मा जांगिड समाज सेवा समिति पाली अध्यक्ष रामचंद्र पिडवा सहित समाज बंधुओं ने दोनों परिवारों की दहेज मुक्त आदर्श विवाह करने पर प्रशंसा की।