सिरोही। अशोक गहलोत बार बार सिरोही आ रहे हैं। वो सरूपगंज में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सभा के बाद आबूरोड में रात्रि विश्राम करेंगे। कल रेवदर में सभा करेंगे। इससे पहले पिछले सप्ताह सिरोही में कार्यकर्ता संवाद किया था। और एक पखवाड़े पहले जयपुर और जोधपुर में सिरोही के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिल रहे थे।
अशोक गहलोत पिछले पांच सालों में मुख्यमंत्री रहते हुए संयम लोढ़ा और नीरज डांगी के अलावा सिरोही के आम कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सुनवाई होती नहीं थी। रतन देवासी जैसे नेता का कद घटाने के लिए माउंट आबू में उपखंड अधिकारी और आयुक्तों को अतिरिक्त ताकत दे रखी थी। आम कार्यकर्ता के कामों को उनकी सरकार में बैठे अधिकारी करते नहीं थे। अपने कार्यालयों को कांग्रेस नेताओं के खिलाफ रणनीति बनाने का अड्डा बनाने वाले अधिकारियों को हिेलाते नहीं थे। अब वो ही अशोक गहलोत सिरोही के उन्हें बिसराए हुए कार्यकर्ताओं से कई कई बार मिल रहे हैं।
प्रदेश में पिछले पांच साल कांग्रेस की सरकार रही। सचिन पायलट की मेहनत से 2018 के चुनावों में जो सीटें आई उसके बाद अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने के बाद जिले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में काफी आशा जगी थी कि अब वो अपने माध्यम से लोगों के काम करवा पाएंगे। चुनाव से पहले जिन कार्यकर्ताओं ने आम आदमी के बीच जाकर उनको ये विश्वास दिलवाया था कि कांग्रेस को वोट देने पर उनका काम वो लोग करवाएंगे उन सभी कार्यकर्ताओं के दावों और वायदों पर तुषारापात हुआ।
अशोक गहलोत की सरकार में जिले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के ये हालात हो गए थे कि यदि वो किसी कद्दावार गुट का समर्थक है तो ठीक अन्यथा साधारण कार्यकर्ता है तो फिर उसकी सुनवाई कोई अधिकारी नहीं करता था। इस बार के विधानसभा चुनावो के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं की ये टीस थी कि पटवारी और ग्रामसेवक तक उनका काम टाल देते हैं। संगठन में शिकायत करते हैं तो ऐसे कार्मिकों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। ऐसे में किस मुंह से लोगों के बीच में फिर से वोट मांगने जाएं।
जिस सरूपगंज में अशोक गहलोत आज सभा करने वाले हैं वो पिंडवाड़ा विधानसभा में पड़ता है। यहां के माउंट आबू में कांग्रेस के बोर्ड को दबाने के लिए अधिकारियों की असीमित ताकत दी। लिमबड़ी कोठी बनाने के लिए अनिंयत्रित निर्माण सामग्री की अनुमति देने के लिए अधिकारियों को विशेष ताकत दी और आम आबू वासी के जर्जर मकानों के लिए राशनिंग लागू कर दी। पिंडवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्र भारजा, निचलागढ़, रोहिड़ा जैसे इलाकों में ग्राम सेवक और पटवारी तक कार्यकर्ताओं की सुनते नहीं थे।
आम कांग्रेस कार्यकर्ता के प्रति खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का क्या रवैया था ये जून 2023 को बिपरजाॅय के बाद जालोर सिरोही जिले में हुए नुकसान का जायजा लेने के दौरान आबूरोड हवाई पट्टी पर अल्पप्रवास के दौरान देखने को मिला। मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने कार्यकाल में सिरोही जिले में ऐसे अधिकारी बैठा रखे थे जो अपने कार्यालयों में आम आदमी को घुसने नहीं देते थे। काम होने पर फोन करने पर फोन नहीं उठाते थे। इसके बावजूद वो जिले में लम्बा कार्यकाल निकाल रहे थे।
आबूरोड की जिस हवाई पट्टी पर आज वो उतरेंगे उसी हवाई पट्टी पर ही आबूरोड के पार्षद भवनीश बारोठ आबूरोड नगर पालिका में तैनात अधिशासी अधिकारी अनिल झिंगोनिया द्वारा शहर के आम आदमियों को अपने कार्यालय में नहीं घुसने देने की शिकायत लेकर पहुंचे। तो अनिल झिंगोनिया के पक्ष में पैरवी करने उनके सलाहकार संयम लोढा बोल पडे। फिर लोढा के सामने मुख्यमंत्री को आम आदमी की समस्या को तरजीह नहीं दी। बूथों पर बैठने वाले और कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए गली गली घूमने वाले कार्यकर्ता को दरकिनार कर दिया।
पांच साल कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं की समस्या को दरकिनार करने के बाद अब अशोक गहलोत सिरोही के उन्हीं कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से चर्चा कर रहे हैं जिनकी जनसमस्याओं को लेकर की जाने वाली शिकायतों को मुख्यमंत्री रहते हुए तवज्जो नहीं दी। वजह स्पष्ट है। अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत जालोर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। यहां पर उनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार लुम्बाराम चौधरी से हैं। अब अशोक गहलोत सिरोही में कांग्रेस के उन नेताओं से मिल रहे हैं जिनकी सुनवाई उनके मुख्यमंत्री काल में नहीं की।