नई दिल्ली। बढ़ती महंगाई से घर परिवार चलाने में आ रही परेशानियों के बीच आम लोगों को अगले वित्त वर्ष के आम बजट से बहुत उम्मीदें हैं और उनकी सबसे बड़ी आशा है कि इस बजट में ऐसे उपाय हो जिससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में कमी आ सके।
उपभोक्ता डेटा इंटेलिजेंस कंपनी एक्सिस माई इंडिया ने इंडिया कंज्यूमर सेंटिमेंट इंडेक्स (सीएसआई) के निष्कर्ष जारी किए हैं जिसमें आम बजट से यह उम्मीद की गई है। बजट पूर्व रिपोर्ट में आवश्यक वस्तुओं की कीमत में कमी को लेकर 2023 के बजट से सबसे बड़ी उम्मीद लगाई गई है। इसमें सामने आए प्रमुख अनुरोधों में से एक आयकर दरों में कमी है, जिससे मुद्रास्फीति से मुकाबला करने के लिए उपभोक्ताओं के पास अधिक पैसा उपलब्ध हो सकेगा।
देश भर के 6100 लोगों ने सर्वेक्षण में भाग लिया जिसमें 65 प्रतिशत ग्रामीण भारत से हैं जबकि 35 प्रतिशत शहरी हैं। 26 प्रतिशत उत्तरदाता सभी स्लैब में 5 प्रतिशत तक व्यक्तिगत आयकर दरों में कमी किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं जबकि 32 प्रतिशत हाउसिंग लोन की ब्याज चुकौती छूट सीमा पर पुनर्विचार किए जाने की उम्मीद लगाए हैं। यह सर्वेक्षण 27 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 6100 लोगों के साथ कंप्यूटर-एडेड टेलीफोनिक साक्षात्कार के माध्यम से किया गया था।
एक्सिस माई इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक प्रदीप गुप्ता ने कहा कि उपभोक्ता बेहतर जीवन और आजीविका की उम्मीद लगाए आगामी बजट घोषणाओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं और मूल्य नियंत्रण को लेकर उनमें काफी अपेक्षाएं हैं। उपभोक्ता उन विभिन्न उपायों की आशा भी कर रहे हैं जो सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने की दिशा में उठाएगी। कुल मिलाकर, वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था को 2023 में और विकास के लिए तैयार होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति नागरिकों की भावनाओं को समझने का प्रयास किया गया। 22 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस वर्ष ‘तेल की कीमतों’ को भारतीय अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने वाला कारक माना। इसके अलावा 16-16 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने ‘मुद्रास्फीति’ और ‘आगामी 2024 आम चुनाव’ को भी इस साल अर्थव्यवस्था पर असर डालने वाला कारक स्वीकार किया। सरकारी नीतियां और रूस – यूक्रेन युद्ध क्रमशः 14 प्रतिशत और 11 प्रतिशत के लिए चिंता का विषय रहा।
उन्होंने कहा कि बहुमत के साथ 73 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि बजट में ‘साबुन, डिटर्जेंट, खाना पकाने के तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में कमी’ को लेकर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। 54 प्रतिशत का मानना है कि इसमें आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी छूट के लिए भी ध्यान दिया जाना चाहिए जबकि 44 प्रतिशत जीएसटी को कम किए जाने की वकालत की है। 32 प्रतिशत चाहते हैं कि आवास ऋण छूट सीमा पर पुनर्विचार किया जाए।