सबगुरू न्यूज-सिरोही। सरकार बदली तो अधिकारी भी बदले। अधिकारियों ने नई जगह पहुंचते ही पुराने रिवाज भी बदलने की कोशिश की। अब इन बदलावो के पीछे की मंशा जनहित है या स्वहित ये समय बताएगा।
लेकिन, इसी बदलाव प्रक्रिया में सिरोही नगर परिषद आयुक्त बनकर पहुंचे प्रकाश डूडी ने भी एक बडा बदलाव किया। उन्होंने यहां पर लम्बे अर्से से कार्यरत कई संविदा कर्मियों को एक ही दिन में निकाल दिया। लेकिन, क्या ये निष्कासन स्थानीय स्तर पर जनहित को देखते हुए किया गया है या फिर सिरोही और उसके बाद सुमेरपुर नगर पालिका में संविदाकर्मियों को नियम विरूद्ध नौकरी देने के विवाद के कारण लिया गया है। यूं निष्कासन का कारण बजटीय अभाव बताया जा रहा है।
-निवर्तमान आयुक्त के समय हुई थी अनियमितता
पाली जिले के समाचार पत्रों में फरवरी 2023 में सुमेरपुर नगर पालिका में अनुबंध पर रखे गए कम्प्यूटर आॅपरेटरों को नियमविरूद्ध स्थाई नियुक्ति देने के समाचार प्रकाशित हुए थे। उन समाचारों के अनुसार वहां पर तत्कालीन अधिशासी अधिकारी योगेश आचार्य और पालिकाध्यक्ष के द्वारा चार कम्प्यूटर आॅपरेटरों को कथित रूप् से नियमविरू़द्ध नौकरियां दे दी गई थी।
आरोप ये लगा कि इन नियुक्तियों के लिए न तो बोर्ड में कोई प्रस्ताव लिया न ही राज्य सरकार के द्वारा। सिरोही नगर परिषद में भी भाजपा शासन में इस तरह की नियुक्तियां की गई थीं। लेकिन, यहां की नियुक्तियों को नगर परिषद के द्वारा समुचित न्यायिक पैरवी किए जाने के कारण निरस्त कर दिया गया था। लेकिन, अशोक गहलोत सरकार में हुई इन अनियमित नियुक्तियों के लिए वहां की नगर पालिका ने समुचित न्यायिक पैरवी नहीं की।
परिणामस्वरूप् इन चार लोगों के द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट से लाए गए आदेशों की गलत व्याख्या करते हुए तत्कालीन अधिशासी अधिकारी योगेश आचार्य ने इन्हें नियुक्ति दे दी। अब तक ये ही अधिशासी अधिकारी आयुक्त बनकर सिरोही में तैनात थे। सरकार बदलने पर भाजपा पार्षदों की पैरवी के बावजूद इनसे आयुक्त का प्रभार लेकर प्रकाश डूडी को आयुक्त बना दिया गया है और आचार्य को उनके अधीनस्थ मूल पद पर भेजकर आरओ बना दिया गया। योगेश आचार्य ने जिन चार लोगों को कथित रूप से नियमविरूद्ध नौकरी दी थी उनमें से एक कार्मिक आचार्य के बाडमेर स्थानांतरण के साथ बाडमेर चला गया था और आचार्य के सिरोही आने पर वो सिरोही आ गया।
-प्रकाश डूडी भी रह चुके हैं सुमेरपुर
ये मामला अक्टूबर 2019 का है। कोरोना का दौर था। नगर पालिका चुनावों की अचार संहिता लगे होने के बावजूद सुमेरपुर के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी योगेश आचार्य, तत्कालीन पालिकाध्यक्ष फूलाराम सुथार और तल्कालीन लेखा अधिकारी बाबूलाल दवे ने स्थाई समित की बैठक बुलाकर अनुबंध पर कम्प्यूटर आॅपरेटर के पद पर लगे श्रवण, घनश्यामलाल, राजेन्द्रकुमार और नारायणलाल को लिपिक के पद पर स्थाई नियुक्ति दे दी।
जब ये मामला मीडिया में आया तो योगेश आचार्य बाडमेर जा चुके थे। इनके साथ स्थायी नियुक्ति पाया श्रवण भी बाडमेर चला गया और राजेन्द्रकुमार सिरोही जिले के जालोर चला गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जब ये मामला सामने आया तो पता चला की योगेश आचार्य ने तखतगढ में पोस्टिंग के दौरान नरपतसिंह को भी इसी तरह स्थाई कर दिया था। सुमरेपुर आने पर उसे भी अपने साथ सुमेरपुर ले आए थे। सूत्रों के अनुसार प्रकरण सामने आने पर वहां के अधिशासी अधिकारी प्रकाश डूडी ही थे।
नगर पालिका ने अनियमित तरीके से नियुक्ति पाए इन कार्मिकों को वेतन रोक दिया था। लेकिन, तब तक श्रवण और राजेन्द्र्र का स्थानांतरण हो चुका था। तो सुमेरपुर में बचे कार्मिको का वेतन रोक दिया गया। संभवतः प्रकाश डूडी के यहां पहुंचते ही योगेश आचार्य और श्रवण के यहां मिलने पर उन्होंने संविदाकर्मियों की जांच करवाई हो और उस दौरान संख्या से ज्यादा संविदाकर्मी मिलने पर उन्हें हटा दिया हो।
फरवरी 2023 को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नगर पालिका सुमेरपुर ने नरपतसिंह, श्रवण परमार और राजेन्द्र कुमार का वेतन भी शेष दो कार्मिकों के साथ रोक दिया था। विभागीय नियमों के अनुसार सुमेरपुर से एनओसी नहीं मिलने तक सुमेरपुर से स्थानांतरित हो चुके कार्मिकों का वेतन भी नहीं दिया जा सकता। परिस्थितिजन्य स्थिति तो यही बता रही है कि सिरोही नगर परिषद में गुरूवार को संविदाकर्मियों पर गाज सुमेरपुर प्रकरण की तरह के प्रकरण की आशंका की जांच के दौरान ही गिरी हो।