कोटा। राजस्थान के कोटा में पॉक्सो न्यायालय ने अपनी नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार आरोपी पिता को आज अंतिम सांस तक कारावास की सजा सुनाई।
न्यायधीश दीपक दुबे ने आरोपी को दोषी मानकर सजा सुनाते हुए अपने फ़ैसले में बाली वध के प्रसंग के दौरान रामचरितमानस की चौपाई लिखी है-कोर्ट ने लिखा मरते समय बाली ने श्रीराम से पूछा, आपने मेरा वध क्यों किया, जब श्रीराम ने बाली से कहा-अनुज वधु भागिनी सत नारी, सुनु सठ कन्या सम ऐ चारी, इन्हहि कुदृष्टि बिलोकई जोई, ताहि वध कछु पाप न कोई यानि छोटे भाई की पत्नी, बहिन, पुत्र वधु, पुत्री सब समान है। उन पर कुदृष्टि रखने वाले का वध कर देने में कोई पाप नहीं है।
आरोप पत्र के अनुसार पीड़िता ने 9 मार्च 2023 को कोटा के उधोग नगर थाने में शिकायत दी थी कि वह माता-पिता एवं तीन छोटी बहिनों के साथ रहती है। उसके पिता की उस पर गलत नजर थी। आरोप पत्र में कहा गया है कि बीते साल 19 या 20 दिसंबर को मां बाजार और छोटी बहिन अखाड़े में गई हुई थी तो घर में अकेली देखकर कर उसके पिता ने उसे पिता ने पकड़ लिया और कमरे में ले जाकर दुष्कर्म क़िया। बाजार से लौटने पर मां को सारी बात बताई तो इस मसले को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ।
पिता ने माफी मागंते हुए दुबारा गलती नहीं करने की बात कही। रिपोर्ट में कहा गया है कि इतने दिनों उसने समाज व लोक लाज के डर से उसने रिपोर्ट नहीं करवाई। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत दुष्कर्म करने का मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया था।
पीड़िता के धारा 164 के तहत बयान करवाए गए जिसमें पीड़िता ने अपने बयानों में बताया कि 14 साल की उम्र से ही पिता उससे दुष्कर्म करता आ रहा है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था जिस पर सात महीने की सुनवाई के बाद बाद न्यायालय ने आरोपी को दोषी मानते हुए अंतिम सांस लेने तक के आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट में 11 गवाह एवं 18 दस्तावेज पेश किए।