मुंबई। भारतीय सिनेमा जगत में श्याम बेनेगल का नाम ऐसे फिल्मकार के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने न सिर्फ समानान्तर सिनेमा को पहचान दिलायी बल्कि स्मिता पाटिल, शबाना आजमी और नसीरउद्दीन साह समेत कई सितारों को स्थापित किया।
1970 और 1980 के दशक में भारतीय समानांतर सिनेमा आंदोलन की शुरुआत करने वाले श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा के महान दूरदर्शी फिल्म निर्माता थे। उन्होंने मुख्य धारा के भारतीय सिनेमा की परंपराओं से हटकर यथार्थवाद और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में बनाईं।
श्याम बेनेगल का जन्म 14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद में हुआ था। वह कोंकणी भाषी चित्रपुर सारस्वत ब्राह्मण परिवार से थे। उनके पिता श्रीधर बी बेनेगल मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले थे। वह एक फोटोग्राफर थे, जिन्होंने श्याम बेनेगल को फिल्म निर्माण में शुरुआती रुचि दिखाई।
महज 12 साल की उम्र में श्याम ने अपने पिता द्वारा उपहार में दिए गए कैमरे का उपयोग करके अपनी पहली फिल्म बनाई। उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की, जहां उन्होंने हैदराबाद फिल्म सोसाइटी की स्थापना की। यह सोसाइटल सिनेमा में उनके शानदार सफर की शुरुआत थी।
श्याम बेनेगल ने अपने करियर की शुरूआत बतौर कॉपीराइटर मुंबई की विज्ञापन एजेंसी से की। वर्ष 1962 में श्याम बेनेगल ने अपनी पहली डाक्यूमेंट्री फिल्म गुजराती में बनाई।
श्याम बेनेगल ने अपने सिने करियर की शुरूआत बतौर निर्देशक वर्ष 1974 में प्रदर्शित फिल्म अंकुर से की। फिल्म अंकुर हैदराबाद की एक सत्य घटना पर आधारित थी। फिल्म के निर्माण के समय श्याम बेनेगल ने अपनी कहानी कई अभिनेत्रियों को सुनाई, लेकिन सभी ने फिल्म में काम करने से मना कर दिया लेकिन शबाना आजमी ने इसे चुनौती के रूप में लिया और अपने सधे हुए अभिनय से समीक्षकों के साथ ही दर्शकों का भी दिल जीतकर फिल्म को सुपरहिट बना दिया। शबाना आजमी की यह पहली फिल्म थी, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1975 में श्याम बेनेगल की मुलाकात स्मिता पाटिल से हुई। उन दिनों श्याम बेनेगल फिल्म चरण दास चोर बनाने की तैयारी कर रहे थे। चरण दास चोर एक बाल फिल्म थी, जो चिल्ड्रेन फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया के सहयोग से बनाई जा रही थी। श्याम बेनेगल ने स्मिता पाटिल को अपनी फिल्म के लिए चुन लिया। चरण दास चोर स्मिता पाटिल के करियर की पहली फिल्म थी।
वर्ष 1975 में श्याम बेनेगल की और सुपरहिट फिल्म निशांत प्रदर्शित हुई। इस फिल्म के जरिये श्याम बेनेगल ने नसीउद्दीन साह को फिल्म इंडस्ट्री में लॉन्च किया। निशांत में नसीरउद्दीन शाह के अलावा गिरीश कर्नाड, स्मिता पाटिल, शबाना आजमी और अमरीश पुरी ने भी मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं।
वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म मंथन श्याम बेनेगल के करियर की उत्कृष्ट फिल्मों में शामिल है। दुग्ध क्रांति पर बनी फिल्म मंथन के निर्माण के लिए गुजरात के लगभग पांच लाख किसानों ने अपनी प्रतिदिन की मिलने वाली मजदूरी में से दो-दो रुपए फिल्म निर्माताओं को दिए और बाद में जब यह फिल्म प्रदर्शित हुई तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई।
वर्ष 1977 में श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी फिल्म भूमिका प्रदर्शित हुई। इस फिल्म के माध्यम से श्याम बेनेगल ने तीस-चालीस के दशक में मराठी रंगमच की जुड़ी अभिनेत्री हंसा वाडेकर की निजी जिंदगी को रुपहले पर्दे पर पेश किया। हंसा वाडेकर की भूमिका स्मिता पाटिल ने निभाई, जिसके लिए वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित की गई।
अंकुर, निशांत, मंथन और भूमिका जैसी फिल्मों के जरिये श्याम बेनेगल ने शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और नसीरउद्दीन शाह को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया, बल्कि सामानान्तर सिनेमा को भी अलग पहचान दिलाई। इसके बाद श्याम बेनेगल ने जूनून, मंडी, त्रिकाल, सरदारी बेगम और वेलकम टु सज्जनपुर जैसी नायाब फिल्में बनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अपने शानदार करियर में श्याम बेनेगल ने भारत एक खोज और संविधान सहित विभिन्न मुद्दों, डॉक्यूमेंट्री और टेलीविजन धारावाहिकों पर फिल्में बनाई। श्याम बेनेगल को अपने सिने करियर में मान सम्मान खूब मिला। श्याम बेनेगल को कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1976 में उन्हें पद्मश्री और वर्ष 1991 में पद्म भूषण से सम्म्मानित किया गया। वर्ष 2005 में श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
श्याम बेनेगल ने 14 दिसंबर को अपने दोस्तों और परिवार के साथ अपना 90वां जन्मदिन मनाया था। जन्मदिन की पार्टी में कुलभूषण खरबंदा, नसीरुद्दीन शाह, दिव्या दत्ता, शबाना आजमी, रजित कपूर, अतुल तिवारी, फिल्म निर्माता-अभिनेता एवं शशि कपूर के पुत्र कुणाल कपूर और अन्य लोग शामिल हुए थे।
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