नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि अस्पतालों में अग्निकांड के संभावित जोखिमों को देखते हुए यह जरुरी है कि आग को रोकने, पता लगाने और प्रभावी ढंग से निपटने के उपाय सख्ती से लागू किए जाने चाहिए।
मंत्रालय ने सोमवार को यहां बताया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और स्वास्थ्य सेवा संगठनों के साथ एक बैठक में अग्निकांड से निपटने के विनियामक प्रोटोकॉल और उपायों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता जताई गई है।
बैठक में कहा गया कि किसी भी स्वास्थ्य सेवा संस्थान में मरीजों, कर्मचारियों और आगंतुकों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। हाल में कुछ स्थानों पर आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं। ये घटनाएं विद्युत रखरखाव और या एयर-कंडीशनर और अन्य उपकरणों के उपयोग की बिजली लाइनों के ओवरलोड के कारण शॉर्ट-सर्किट का परिणाम हैं।
मंत्रालय ने कहा है कि एक मजबूत अग्नि सुरक्षा योजना स्थापित की जानी चाहिए और अग्नि-निकासी और सुरक्षा अभ्यास आयोजित किये जाने चाहिए। इससे न केवल विनियामक आवश्यकताओं के अनुपालन सुनिश्चित होगा बल्कि जीवन और संपत्ति की सुरक्षा होगी।
मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि गर्मी के महीनों में तापमान बढ़ जाता है और अस्पताल में आग लगने की घटनाएं एक बड़ा खतरा बन जाती हैं, इसलिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को संभावित रूप से संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने के लिए नियमित रूप से निवारक अग्नि जोखिम आकलन अभ्यास करने की सलाह दी जाती है।
यह बैठक 29 मई को अतिरिक्त सचिव (सार्वजनिक स्वास्थ्य और नीति) और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की सह-अध्यक्षता में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ आयोजित की गई। बैठक में राज्य स्वास्थ्य विभागों और लगभग 390 स्वास्थ्य देखभाल संगठनों के 15 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।