भुणा जी व देवनारायण मंदिर की मरम्मत नहीं होने दे रहा वन विभाग

अजमेर। पृथ्वीराज नगर के समीप पहाड़ी की तलहटी में स्थित भुणा जी व देवनारायण भगवान के मंदिर की बारिश से जर्जर हुई चारदीवारी की मरम्मत करने से शुक्रवार को वन विभाग द्वारा रोके जाने से माकड़वाली, चौरसियावास के ग्रामीणों तथा पंचशील, वैशाली नगर व आसपास के क्षेत्र के वाशिंदों में खासा रोष व्याप्त हो गया।

स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना बताया जा रहा है। मंदिर में गुर्जर समाज के साथ सभी 36 कौम के लोग पूजा अर्चना करने आते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह भी है कि यहां मांगी गई मनोकामना पूर्ण होती है।

बीते दिनों पहले मूसलाधार बारिश के कारण मंदिर के पास बनी दीवार क्षतिग्रस्त हो गई। इससे मंदिर को हानि पहुंचने की संभावना को देखते हुए ग्रामीणों, भक्तों व आसपास के गांवों के पंच पटेलों ने मंदिर की दीवार मरम्मत के लिए चंदा इकट्ठा कर मरम्मत कार्य शुरू करवाने को सीमंट, बजरी आदि ढलवाई थी।

इस दौरान शुक्रवार को दोपहर को जब मजदूर मरम्मत के काम में लगे हुए थे तभी वन विभाग का हवाला देते हुए कुछ लोग आए और काम को जबरन बंद करवा दिया। इतना ही बल्कि वे वहां पड़े पत्थर व मरम्मत के लिए लाई गई सामग्री को भी साथ ले गए।

इस घटना की जानकारी लगते ही ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त हो गया। शनिवार को माकड़वाली, चौरसियावास व आसपास के गांवों के पंच पटेल व भक्तगण मंदिर में इकट्ठे हुए और मंदिर का कार्य रोके जाने के जिम्मेदार वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

घटना की जानकारी देते हुए पार्षद हामिद खान ने बताया कि यह मंदिर अति प्राचीन है। फॉरेस्ट के अधिकारियों द्वारा जो कार्रवाई की गई है वह निंदनीय है। इस मंदिर से 36 कौम की आस्था जुडी हुई है। यहां मरम्मत का जो कार्य किया जा रहा था वह भक्तों से एकत्र चंदे से हो रहा था। चंदे की राशि से मंगवाई गई निर्माण सामग्री वन विभाग ने जब्त कर ली।

पार्षद खान व ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया है कि जब्त मटेरियल वापस मंदिर पर भेजा जाए साथ ही प्रशासन को भी इस बारे में अवगत कराएं ताकि मंदिर मरम्मत को लेकर कोई रोक टोक ना हो। गांवों के पंच पटेलों द्वारा लिए गए निर्णय पर अगर प्रशासन खरा नहीं उतरता है तो मजबूरन आंदोलन पर उतरना पडेगा।