पटना। बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा ने रविवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। शर्मा ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना इस्तीफा भेज दिया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ सोनिया-लालू और राहुल-तेजस्वी के जीवनकाल तक के लिए स्थाई समझौता कर लिया है। बिहार में राजद कांग्रेस पार्टी को एक साथी या सहयोगी के तौर पर नहीं बल्कि एक परजीवी भिखारी के रूप में देखता है। इसलिए अब बिहार में पार्टी का कोई भविष्य नहीं रह गया है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सीट बंटवारे की वजह से बिहार में पार्टी के कार्यकर्ताओं में निराशा है। कांग्रेस को ऐसी सीटें दी गई हैं, जहां जीतना मुश्किल है जबकि आसानी से जीतने वाली सीटें पार्टी से छीन ली गई हैं। उन्होंने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस को सोची-समझी रणनीति के तहत कमजोर सीटें दी हैं ताकि बिहार में कांग्रेस हाशिये पर ही रहे।
शर्मा ने कहा कि वर्ष 1998 में ही कांग्रेस को छोड़ने के बारे में उन्होंने सोचना शुरू कर दिया था जब कांग्रेस पार्टी ने राजद के साथ गठबंधन किया था। इस पर वह 1999 में और गंभीरता से सोचने लगे जब सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस ने बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने का विरोध किया और राबड़ी सरकार की बहाली में राजद की मदद की थी, जिस सरकार को बिहार में जंगल राज के रूप में जाना जाता था और मगध क्षेत्र में उच्च जातियों के बड़े पैमाने पर नरसंहार में भी सहायक थी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2000 में राजद के साथ गठबंधन करने का कांग्रेस का निर्णय आत्मघाती था, यह बाद में साबित भी हुआ जब लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में सीटों को कम करके धीरे-धीरे कांग्रेस को हाशिए पर डालना शुरू कर दिया गया। राजद ने संयुक्त बिहार में 1998 के चुनाव में कांग्रेस को 21 सीट दी थी जिसको 1999 में घटाकर 16 और 2004 में चार कर दिया गया।
इसके बाद 2009 में राजद ने सिर्फ तीन सीटों की ही पेशकश की, जिसे ठुकरा कर जब कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी। चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद राजद ने मजबूरी में 2014 में 12 सीट कांग्रेस को दी लेकिन 2019 में फिर से घटाकर नौ और अब 2024 से बहुत दबाव के बाद नौ सीट देने पर सहमत हुई।
शर्मा ने कहा कि बिहार के आम जनों और राज्य के बहुसंख्यक कांग्रेसजनों की नजर में राजद की छवि एक प्रतिक्रियावादी जातिवादी दल और बिहार में जंगल राज को बढ़ावा एवं संरक्षण देने वाली पार्टी की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राजद का आपसी समझौता टूटने वाला नहीं है, जो प्रदेश के लिए घातक है। यदि राजद इस बार के चुनाव में चार-पांच सीट भी जीता तो तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जंगलराज की वापसी हो जाएगी।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी ने पप्पू यादव का जिस तरह महिमा मंडन किया उसमें उनके जैसे लोगों के लिए कांग्रेस में मुश्किल हो रही है। उन्होंने कहा कि जब वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे तब तत्कालीन बिहार के प्रभारी जगदीश टाइटलर भी पप्पू यादव को पार्टी में लेना चाहते थे लेकिन उनके विरोध के कारण उस समय उनका पार्टी में शामिल होना रुक गया था।
शर्मा ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व की आलोचना करते हुए कहा कि इनकी कथनी और करनी में अंतर है। इसके कारण ही आज देश में कांग्रेस अस्वीकार्य होती जा रही है। उन्होंने कहा कि अध्यादेश फाड़ने वाले राहुल गांधी आज लालू प्रसाद यादव के साथ गलबहियां कर रहे हैं। मटन भात खा रहें हैं। इसी तरह रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आमंत्रण ठुकराना कांग्रेस की सांप्रदायिक होती जा रही सोच का परिचायक है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एक बेचारा अध्यक्ष हैं। उनकी पार्टी में नहीं चलती है। वे रिमोट कंट्रोल से चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की जितनी दुर्दशा हो जाए लेकिन गांधी परिवार पार्टी पर से अपना नियंत्रण नहीं छोड़ेगा क्योंकि इससे मिल रहे लाभ को वे छोड़ना नहीं चाहते हैं। शर्मा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि राहुल गांधी को कश्मीर में मोहब्बत की दुकान खोलनी चाहिए, क्योंकि वहां एक समुदाय आतंक मचाए रहता है। वहां मोहब्बत की दुकान खोलना ज्यादा जरूरी है।