मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने 2014 के कथित माओवादी संबंध मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के दिव्यांग पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य आरोपियों को मंगलवार को बरी कर दिया।
न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मिकी एसए मेनेजेस की खंडपीठ ने गढ़चिरौली सत्र न्यायालय के 2017 के आदेश को रद्द कर दिया है, जिसने पहले अपने आदेश में छह आरोपियों को दोषी ठहराया था। सत्र न्यायालय ने कहा था कि अभियोजन पक्ष अपने मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है।
पीठ ने यह भी माना कि अवैध गतिविधि (निरोधक) कानून (यूएपीए) के तहत आरोपी व्यक्ति पर मुकदमा चलाने की मंजूरी, कानून के अनुरूप नहीं थी। राज्य सरकार ने इस फैसले पर रोक लगाने की मांग नहीं की। यह फैसला अदालत द्वारा साईबाबा की याचिका पर दोबारा सुनवाई के बाद आया है। इससे पहले, बम्बई उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने भी अक्टूबर 2022 में दिव्यांग प्रोफेसर को बरी कर दिया था।
उच्चतम न्यायालय द्वारा साईबाबा को बरी करने के अक्टूबर 2022 के आदेश को रद्द किये जाने और मामले को दोबारा सुनवाई के लिए बम्बई उच्च न्यायालय में भेजने के बाद इस पर दोबारा सुनवाई हुई।
न्यायाधीशों ने आरोपियों को 50-50 हजार रुपए जमानत बाँड के रूप में जमा कराने के बाद तब तक के लिए जेल से रिहा करने का निर्देश दिया है, जब तक कि उच्चतम न्यायालय फैसले के खिलाफ राज्य की याचिका पर निर्णय नहीं ले लेता।