नई दिल्ली/मुंबई। कांग्रेस पार्टी से निष्काषित नेता संजय निरूपम ने कांग्रेस को वास्तविकता से कटा हुआ और दिशाहीन दल बताते हुए दावा किया है कि उन्होंने निष्कासन पत्र जारी होने से पहले ही पार्टी को अपना इस्तीफा भेज दिया था।
पत्रकारिता से राजनीति में आए निरूपम ने कहा कि कांग्रेस दिशाहीन हो चुकी है और पार्टी के अंदर सत्ता के एक से ज्यादा केंद्र काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी राजनीति खत्म नहीं हुई है। वह उत्तर-पश्चिम मुंबई लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं और कहा है कि अपनी आगे की राह नवरात्रि के बाद तय करेंगे। ऐसी भी अटकलें हैं कि निरूपम अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो सकते हैं।
अनुशासनहीनता के आरोपों के निष्कासित किए जाने के एक दिन बाद निरुपम ने गुरुवार को कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से उनके इस्तीफे के बाद उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी शिवसेना (यूबीटी) के साथ सीट बंटवारे की बातचीत के बीच निरूपम के कतिपय बयान को पार्टी के अनुशासन के विरुद्ध बताते हुए कांगेस ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकालने का पत्र जारी कर दिया है।
निरूपम ने निष्कासन के बाद सोशल मीडिया साइट एक्स पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे गए त्यागपत्र का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा कि ऐसा लगता है कि पार्टी को कल रात मेरा इस्तीफा पत्र मिलने के तुरंत बाद उन्होंने मेरा निष्कासन (पत्र) जारी करने का फैसला किया। ऐसी तत्परता देखकर अच्छा लगा। बस यह जानकारी साझा कर रहा हूं।
निरूपम ने कांग्रेस को दिशाहान बताते हुए कहा है कि पार्टी में संगठनात्मक ताकत नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में पांच पावर सेंटर (सत्ता केंद्र) हैं। उन्होंने – सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल को कांग्रेस के अलग-अलग सत्ता केेंद्र बताए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी अपनी-अपनी लॉबी हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भारी निराशा है और पार्टी में उनका धैर्य खत्म हो गया था। निरुपम ने कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता को कठघरे में खड़ा किया। शिवसेना छोड़ कर कांग्रेस की राजनीति कर चुके निरूपम ने कहा कि कांग्रेस खुद को धर्मनिरपेक्ष कहती है जबकि महात्मा गांधी सर्वधर्म सम्भाव में विश्वास करते थे।
उन्होंने कहा कि विचारधाराओं की एक समय सीमा होती है। उन्होंने कहा कि धर्म को नकारने वाली नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता ख़त्म हो गई है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत अब पूरी तरह से धार्मिक देश बन गया है, यहां तक कि उद्योगपति भी बड़े गर्व के साथ मंदिरों में जाते हैं। कांग्रेस का वास्तविकता से संपर्क टूट गया है।
उन्होंने कहा कि वह नवरात्रि के बाद भविष्य की अपनी रणनीति तय करेंगे। वह मुंबई उत्तर-पश्चिम क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में हैं। उन्होंने कहा है कि जब वह इस सीट से जीतेंगे तो, जो लोग उनका राजनीतिक जीवन खत्म देखना चाहते हैं, उन्हें निराशा होगी। निरूपम संयोग (अविभाजित) शिवसेना के टिकट पर दो बार व राज्यसभा के सदस्य रहे। कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने एक बार संसद में पूर्व मुंबई उत्तर लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया।