गजेन्द्र सिंह शेखावत को संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी मामले मिली बड़ी राहत

जयपुर/जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के मामले में जांच को रद्द कर दिया। इससे केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावात को बडी राहत मिली है।

न्यायमूर्ति अरुण मोंगा की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए मामले में विशेषज्ञ अभियान दल (एसओजी) की जांच को रद्द कर दिया और आगे न्यायालय की अनुमति के बिना जांच नहीं करने के आदेश दिए। इस मामले में गत गहलोत सरकार ने शेखावत के खिलाफ एसओजी में मामला दर्ज कराया था।

इस एफआईआर को रद्द करने के लिए शेखावत की ओर से न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए गत 17 सितंबर को न्यायालय ने मामले में अंतिम आदेश पारित करते हुए एसओजी को इस सवाल का जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था कि क्या एसओजी गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का इरादा रखता है।

इस पर एसओजी की ओर से एक विस्तृत रिपोर्ट दायर की गई। जिसमें कहा गया कि इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है।

सत्य को झूठ के आडंबर से ज्यादा दिन तक ढका नहीं जा सकता

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि सत्य को झूठ के आडंबर से ज्यादा दिन तक नहीं ढका जा सकता है और आखिर में सत्य की ही जीत होती हैं। शेखावत ने संजीवनी प्रकरण में आए कोर्टके फैसले पर बुधवार को यहां मीडिया से अपनी प्रतिक्रिया में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि जो न्यायालय का फैसला आया है उससे आज सत्य की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि सत्य को बादलों के आवरण से ढकने और कालिख पोतने की कोशिश की जा सकती है लेकिन अंत में सत्य उजागर होता है।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए उनका नाम लिए बिना कहा कि झूठ खड़ा करने का षड्यंत्र, अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति और बेटे की हार और प्रदेश की जनता द्वारा भारतीय जनता पार्टी को विजय दिलाने से उत्पन्न खीझ की मानसिकता के चलते मुझे घसीटने की कोशिश की गई थी। आज न्यायालय ने उस पर अपना फैसला सुनाते हुए मामले में जांच को क्वेश कर दिया और आगे भी न्यायालय की स्वीकृति के बिना जांच नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि एक बार फिर सत्य जीता है वहीं ऐसी घटिया मानसिकता, जिसके जरिए किसी व्यक्ति के चरित्र हरण करने का प्रयास किया गया। न्यायालय का निर्णय उन लोगों के मुंह पर तमाचा है। उन्होंने कहा कि न्यायालय का आदेश इस बात को साबित करता है कि मुझे फंसाने का किस तरह का कुत्सित प्रयास किया गया।