लखनऊ। राजधानी लखनऊ की जिला अदालत परिसर में बुधवार दिनदहाड़े एक दुस्साहिक वारदात में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खूंखार अपराधी संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की पुलिस अभिरक्षा में गोली मार कर हत्या कर दी गई। हमलावर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गंभीर रूख अपनाते हुए तीन सदस्यीय विशेष जांच कमेटी (एसआईटी) का गठन किया है। अपर पुलिस महानिदेशक टेक्निकल मोहित अग्रवाल, नीलब्ज़ा चौधरी और अयोध्या के पुलिस महानिरीक्षक प्रवीण कुमार एसआईटी के सदस्य होंगे। जांच कमेटी को एक सप्ताह में जांच पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि वकील के वेश में आए हमलावर ने जीवा पर पीछे से एक के बाद एक कई गोलियां दागी जब वह किसी मामले में पेशी पर आया था। हमलावर ने पांच से छह राउंड गोलियां चलाईं। लहूलुहान जीवा को नजदीक के अस्पताल में ले जाया गया जहां डाक्टरों ने उपचार के दौरान उसे मृत घोषित कर दिया। हमलावर की पहचान जौनपुर जिले के केराकत क्षेत्र निवासी विजय यादव के तौर पर की गई है। हत्या के कारणों का फिलहाल पता नहीं चल सका है।
इस गोलीबारी में एक डेढ़ वर्षीय बालिका और पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। दुस्साहिक वारदात के बाद अदालत परिसर में हड़कंप मच गया। कचहरी परिसर में मौजूद वकीलों ने घटना के प्रति विरोध जताते हुए खुद की सुरक्षा की मांग की और धरना दिया। सूत्रों के मुताबिक घायल बालिका लक्ष्मी अपनी मां के साथ न्यायालय आई थी जहां उसके पिता की जमानत अर्जी पर सुनवाई होनी थी। इस गोलीबारी में सिपाही लाल मोहम्मद के पैर में गोली लगी है। दोनों की हालत खतरे से बाहर बताई गई है।
सूत्रों ने बताया कि मुजफ्फरनगर जिले का निवासी जीवा की गिनती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खूंखार गैंगस्टर में होती थी। उस पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में करीब दो दर्जन मुकदमे लंबित हैं। जीवा के ताल्लुकात माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी से थे। जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद था। हाल ही में प्रशासन द्वारा उसकी संपत्ति भी कुर्क की गई थी।
शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर के नौकरी करता था। इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था। घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांगी थी। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की तड़प थी।
इसके बाद उसका नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया। जिसमें बाद में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। जीवा थोड़े दिनों बाद मुन्ना बजरंगी गैंग में घुस गया और इसी क्रम में उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का वरदहस्त भी प्राप्त हुआ और फिर संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया।
कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका है, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।