सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में गीता जयन्ती महोत्सव
अजमेर। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में महात्मा गांधी सभागार में बुधवार को मार्गशीर्ष शुक्ल (मोक्षदा) एकादशी के शुभावसर पर गीता जयन्ती महोत्सव का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता अनादि धाम की मुख्य उपासक साध्वी अनादि सरस्वती और विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता थे। अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो (डॉ) मनोज कुमार बहरवाल ने की।
महोत्सव का आरम्भ दीप प्रज्वलन एवं श्रीमदभगवद्गीता की अर्चना से किया गया। आतिथ्य परम्परा के अनुसार प्राचार्य बहरवाल ने उपर्णा व गीता भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. जितेन्द्र थदानी ने अतिथियों का परिचय कराया एवं विषयप्रवर्तन किया। संस्कृत विभाग की छात्राओं महिमा और दीपांशी वर्मा ने गीता के श्लोकों का सस्वर पाठ किया। हर्ष मिश्रा ने पीपीटी के माध्यम से श्रीमदभगवद्गीता के परिचय के द्वारा गीता के 18 अध्यायों के वैशिष्ट्य का प्रतिपादन किया।
मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता साध्वी अनादि सरस्वती ने प्रेरक उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि गीता स्थितप्रज्ञ, कर्मशील और श्रद्धावान् बनने का उपदेश है। निराशा से मुक्ति और निर्भय होने का गीत है। आज की वर्तमान सभी समस्याओं के समाधान का द्वार है। अतः गीता को अवश्य पढ़ें और अपने जीवन का अंग बनाएं। गीता पढ़ने से मनुष्य का आध्यात्मिक पक्ष प्रबल होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कार्यक्रम अध्यक्ष प्राचार्य बहरवाल ने कहा कि गीता को घर-घर तक पहुंचाने की आवश्यकता है। हम जब भी किसी को उपहार दें, उन्हें गीता ही दें। गीता किसी धर्म, वर्ग या देश विशेष की नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व की है। अतः प्रत्येक मानव को गीता की शिक्षाओं को आत्मसात् करने का प्रयास करना चाहिए। युवा पीढ़ी के लिए गीता अत्यावश्यक है। गीता उन्हें सन्मार्ग की ओर लेकर जाती है, कुमार्ग से बचाती है।
कार्यक्रम में कृष्ण कुमार गौड़, श्रीलालजी, परिवार सहित देवेन्द्र तथा अनादि पीठ के सेवाधारी विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रो दिलीप गेना, प्रो मनोज अवस्थी, डॉ. पोरस कुमार, डॉ. सरिता चांवरिया, डॉ. आदित्य शर्मा, प्रो जितेन्द्र मारोठिया, प्रो लीलाधर सोनी, डॉ विकास सक्सेना, डॉ प्रकाशचन्द्र शर्मा आदि संकाय सदस्यों के साथ विद्यार्थी उपस्थित थे। कल्याणमन्त्र के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. अर्चना भार्गव ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशुतोष पारीक ने किया।