अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा
जयपुर। राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए अयोध्या सजधजकर तैयार है। जहां देखते हैं वहां ऐसा लग रहा है कि पूरे भारत में भी इस समय एक त्योहार है। भारत से बाहर दुनिया के सभी देशों में 22 जनवरी के उत्सव की तैयारियां चल रही हैं। इधर, राममंदिर आयोजन को लेकर कुछ विरोधाभाष खड़े करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। इस सबके बीच जो तैयारियां चल रही हैं उनसे झलक रहा है कि राम सबके हैं। सबके राम के लिए सब आयोजन की तैयारियां में अपने-अपने हिसाब से जुड़े हैं।
देश के विभिन्न भागों से जो समाचार आ रहे हैं उनसे एक सुखद अनुभूति यह भी है कि सामान्य मुसलमान इस आयोजन से किसी न किसी तरह से जुड़ रहे हैं। कई बड़े शहरों की मुस्लिम बस्तियों में तो उत्सव भी मनाया जाएगा। आगरा, जयपुर, जोधपुर, लखनऊ, अहमदाबाद सहित हर शहर कस्बे से ऐसी सूचनाएं आ रही है। देश में कुछ लोगों को छोड़ें तो मुस्लिम समाज में उदार लोग इस आयोजन से खुद को जोड़कर गर्वित महसूस कर रहे हैं।
राममंदिर के लिए पादुकाएं बनाने में मुस्लिम कारीगर का योगदान, एक मुसलमान लड़की का अयोध्या में आयोजन के लिए रवाना होना, राजस्थान के गंगापुर सिटी में मोलवी का अक्षत आमंत्रण पर हर्षित होना कुछ अलग ही संकेत दे रहे हैं। इससे लगता है कि यह हिंदू मुस्लिम मुद्दा नहीं है बल्कि कट्टरता और उदारता का विषय है।
राजस्थान के जोधपुर के निकट सांगासनी के यहां मोयलों की ढाणी है। यहां मुस्लिम कारीगर 22 जनवरी के आयोजन के लिए दीपक बना रहे हैं। ढाणी के करीब सभी मुस्लिम परिवार उत्साहित हैं। उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में तो अल्पसंख्य आयोग ने 5 हजार मुस्लिम परिवारों में दीपक वितरित किए हैं। हर घर में प्राणप्रतिष्ठा की खुशी में दीपक जलेंगे। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा 36 दरगाह और मस्जिदों में दीपक जलाने के अभियान में लगा है।
राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच के सदस्य इसे राष्ट्र का आयोजन बनाने के लिए मुस्लिम बस्तियों में सम्पर्क कर रहे हैं। देशभर से मंच के तत्वावधान में मुस्लिम समाज के लोग अयोध्या आ रहे हैं। वाराणसी में तो मुस्लिम छात्राओं नेे हिंदू छात्राओं के साथ मिलकर 5 फीट का दिया बनाया है। इसमें 2 क्विंटल घी आ सकता है। हिमाचलप्रदेश के मंडी में तो हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई मिलकर एक आयोजन कर रहे हैं। यही समरसता देशभर में देखी जा रही है।
राममंदिर निमार्ण से लेकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मुस्लिम समाज के सहयोग के कुछ बिंदु :-
• उरी बारामुला जम्मू कश्मीर के रहने वाली बतूल जहरा ने पहाड़ी भाषा में राम आएंगे भजन गाया जो इन दिनों वायरल हो रहा है। वायरल होने के बाद बतूल जाहरा ने एक और वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने बताया की वह चाहती है कि जम्मू कश्मीर के लोगों का भी राम मंदिर में योगदान हो।
इन्हीं दिनों रतलाम की एक जेल का वीडियो भी आया जिसमें मुबारक खान अन्हा केदियो के साथ ‘सजा दो घर को गुलशन सा’ भजन गाते और रामभक्ति में झूमते नज़र आए।
एक और वीडियो में लखमीपुर की छात्रा इमान अंसारी ने ‘मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएंगे राम आएंगे’ यह भजन गाया, जो वायरल हो रहा है
• इस इस तरह के कोई ना कोई समाचार प्रतिदिन सामने आ रहे हैं जिसमें मुस्लिम समाज बढ़कर प्रत्यक्ष प्रमुख रूप से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अपना योगदान सुनिश्चित कर रहा है।
जम्मू कश्मीर के नूर आलम ने श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में भोजन बनाने के लिए सहर्ष अपनी जमीन ट्रस्ट को दी। उनका कहना है कि यहां श्रीराम के मेहमान आएंगे और यह उनके लिए बड़ी बात है।
वाराणसी में मुस्लिम महिला फाऊंडेशन चलने वाली नाजनीन व उनके साथी नजमा ने श्रीराम मंदिर से ज्योति वाराणसी ले जाकर हिंदू मुस्लिम परिवारों में राम ज्योति ले जाने का निर्णय लिया। नजमा ने कहा कि भगवान राम कण-कण में बसे हैं हम सभी जानते हैं कि हम अपना धर्म बदल सकते हैं लेकिन हमारे पूर्वज नहीं बदल सकते।
श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए मकराना के व्यवसाय मोहम्मद रमजान ने मार्बल की आपूर्ति की है। उन्होंने बताया कि वह खुद को इस बात के लिए सौभाग्यशाली समझते है। इन्हीं की कंपनी के मुख्य शिल्पकार वह कई वर्षों से राम मंदिर से नक्काशी के काम में जुड़े हैं और उन्हेंइस बात की खुशी है।
निधि समर्पण अभियान के दौरान काशी के 22 मुस्लिम परिवारों ने भी अपना योगदान दिया। इनमें एक लॉ की छात्रा अनवर खान भी है जिन्होंने 21000 की राशि निधि समर्पण के लिए दी थी और अपने हाथ पर राम नाम भी लिखवाया।
मुस्लिम समाज में राम मंदिर को लेकर अदभुत उत्साह है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर मुस्लिम समाज ने कई स्थानों एवं मस्जिदों में सफाई अभियान चलाया। 22 जनवरी तक अलग अलग दरगाहों और मस्जिदों पर सफाई अभियान चलाया जाएगा।