तेल अवीव। इजराइल के तेल अवीव और अन्य शहरों में गाजा पट्टी से बंधकों को मुक्त कराने के लिए तत्काल समझौते की मांग को लेकर सरकार विरोधी रैलियों में लगभग पांच लाख नागरिक सड़कों पर उतरे। इन बंधकों को फिलीस्तीनी कट्टरपंथियों ने ठीक 11 महीने पहले बंदी बना लिया था।
रिपोर्टो में कहा गया कि तेल अवीव में सबसे बड़ी रैली के आयोजकों ने पांच लाख कार्यकर्ताओं की उपस्थिति का दावा किया। प्रदर्शनकारियों ने एक बार फिर गाजा पट्टी से बंधकों को मुक्त कराने के लिए तत्काल समझौते की मांग की और उनमें से दर्जनों की मौत के लिए इजराइली सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
तेल अवीव के केंद्र में सरकारी भवन परिसर के पास हो रही रैली सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है जो एक साप्ताहिक कार्यक्रम बन गई है। यहां पास ही विशेष रूप से रक्षा मंत्रालय का मुख्यालय स्थित है। घटनास्थल पर एम्बुलेंस दल और बड़े पुलिस बल तैनात हैं। जो शहर के केंद्र में यातायात को अवरुद्ध कर रहे हैं और संभावित दंगों को रोकने और पड़ोसी राजमार्गों को अवरुद्ध करने के लिए अवरोध स्थापित कर रहे हैं।
इजराइली सेना ने लेबनान से लगभग 50 गोले दागे जाने की रिपोर्ट दी
उत्तरी इजराइल में लेबनान से लगभग पचास गोले दागे गए जिनमें से कुछ गोले वायु रक्षा प्रणालियों द्वारा मार गिराए गए। इजराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने रविवार के यह जानकारी दी।
आईडीएफ ने टेलीग्राम पर कहा कि ऊपरी गलील में 5:35 बजे बजने वाले सायरन के बाद लेबनान से आने वाले लगभग 30 प्रोजेक्टाइल की पहचान की गई। आईडीएफ एरियल डिफेंस एरे ने कई प्रोजेक्टाइल को सफलतापूर्वक रोक दिया और बाकी खुले क्षेत्रों में गिर गए, इस घटना में किसी के घायल होने की सूचना नहीं है।
सायरन के बाद 00:57 पर आवाज आई और 2:34 से 2:39 के बीच किर्यत शमोना के क्षेत्र में लेबनान से आने वाले लगभग 20 प्रोजेक्टाइल की पहचान की गई, आईडीएफ एरियल डिफेंस एरे ने क्षेत्र में गिरे प्रोजेक्टाइल में से अधिकांश को सफलतापूर्वक रोक दिया। किसी के घायल होने की सूचना नहीं है।
गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 में गाजा पट्टी में इजराइली सैन्य अभियान शुरू होने के बाद इजरायल-लेबनानी सीमा पर स्थिति खराब हो गई। इजराइली सेना और हिजबुल्लाह आंदोलन के लेबनानी लड़ाके सीमा से लगे इलाकों में एक-दूसरे के ठिकानों पर रोजाना गोलीबारी करते हैं।
लेबनानी विदेश मंत्रालय के अनुसार इजराइल की गोलाबारी के कारण दक्षिणी लेबनान में लगभग एक लाख लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इजराइली पक्ष ने बताया कि उत्तरी इजराइल के लगभग 80 हजार निवासी ऐसी ही स्थिति में हैं।