अजमेर। जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बताया कि यमुना जल पर मई 1994 में संपादित समझौते के अनुसरण में राजस्थान को हरियाणा स्थित ताजेवाला हेड पर मानसून के दौरान 1917 क्यूसेक जल आवंटित है। ताजेवाला हेड से राजस्थान को जल लाने हेतु कैरियर सिस्टम उपलब्ध नहीं है। राज्य ने वर्ष 2003 में हरियाणा की नहरों को रिमॉडलिंग कर राजस्थान में उक्त जल लाए जाने व पुनः वर्ष 2017 में भूमिगत प्रवाह प्रणाली के माध्यम से जल लाने बाबत हरियाणा सरकार को एमओयू भेजा गया लेकिन हरियाणा राज्य की सहमति प्राप्त नहीं हुईं थीं।
राजस्थान लगातार इस मुद्दे को अपर यमुना रिव्यू कमिटी व अन्य अंतराज्यीय बैठकों में निरंतर रखती रही। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भारत सरकार व हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर लगातार इस बाबत निवेदन किया, परंतु सहमति नहीं बन पाई।
शनिवार को केंद्र सरकार के समवन्य से ताजेवाला हेड पर आवंटित जल के राजस्थान में पेयजल उपयोग हेतु प्रथम चरण की संयुक्त रूप से डीपीआर बनाने के लिए राजस्थान व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन राजस्थान तथा कमिश्नर एवं शासन सचिव जल संसाधन हरियाणा ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। जो कि भाजपा की डबल इंजन सरकार की एक और सौगात है।
एक गहरे विमर्श के बाद राजस्थान और हरियाणा के बीच सहमति बन गई है कि हरियाणा के हथिनी कुंड बराज से राजस्थान को पानी दिया जाएगा। जिसके तहत दोनों राज्यों के बीच अंडरग्राउंड पाइपलाइन के माध्यम से पानी वितरित किया जाएगा। चूरू, सीकर, झुंझुनूं सहित अनेक जिलों को इसका लाभ पेयजल के रूप में मिलेगा। इस डीपीआर की प्रक्रिया और पूर्णता के लिए चार महीने का समय तय किया गया है। सेंट्रल वॉटर कमीशन और अपर यमुना रिवर बोर्ड की भी इसमें भागीदारी रही।
संवेदनशील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में बनी यह सहमति ऐतिहासिक है। दो दशकों से अटके मुद्दे पर यह एक ठोस और स्थायी समाधान की दिशा में मजबूत कदम है और निश्चित ही राजस्थान में जल उपलब्धता के विषय में मील का पत्थर साबित होगी। रावत ने इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आभार जताया है।
ताजेवाला हेड वर्क्स से राजस्थान के तीन जिलों को मिलेगा यमुना का पानी