– परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। पिछले सप्ताह जयपुर में भाजपा के सदस्यता अभियान पर हुई चर्चा के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष में प्रदेश भाजपा के नेताओं और जनप्रतिनिधियों को आडे हाथों में लिया।
भाजपा शासित राज्यों में सदस्यों को लेकर भाजपा की स्थिति बदतर है। इसी दौरान हुई चर्चा में सिरोही में तीनों विधानसभाओं में भाजपा के सदस्यता अभियान के आंकडे जारी हुए। इन आंकडों ने सिरोही में भाजपा के पूरे काडर की कलई खोल दी। भाजपा के सदस्यता अभियान के प्रति नीरसता की वजह क्या रही होगी इसकी एक वजह सिरोही के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक स्वयंसेवक और माउंट आबू के भाजपा पार्षद के सोशल मीडिया पर वायरल संदेश ने खोल दी।
-तीन विधानसभाओं के हालात खराब
पार्टी सूत्रों के मुताबिक वर्तमान सदस्यता अभियान के पहले सिरोही मे भाजपा कें डेढ लाख सदस्य थे। लेकिन, सदस्यता अभियान शुरू होने से लेकर बीएल संतोष की बैठक तक जो हालात रहे उसके आंकडे भी सामने आ गए हैं। सिरोही विधानसभा में 15 हजार 820, पिण्डवाडा आबू विधानसभा में 10 हजार 086 और रेवदर विधानसभा में 10 हजार 70 सदस्य बने हैं। यानि सिरोही जिले में भाजपा नेता पिछली बार के एक तिहाई सदस्य भी नहीं बना पाए हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष ने जो कहा वो सिरोही के भाजपा के जनप्रतिनिधियों और नेताओं पर बिल्कुल फिट बैठता है। उन्होंने भाजपा नेताओं के लताडते हुए कहा था कि सभी लोग सदस्यों को जोडने को लेकर फील्ड में गए क्यों नहीं। यू ंबीएल संतोष भले ही संगठन नेताओं से ये पूछें कि वो फील्ड में गए क्यों नहीं। लेकिन, हकीकत ये है कि भाजपा की सत्ता ने भाजपा के संगठन और उनके नेताओं को इस लायक छोडा ही नहीं कि वो फील्ड में जाकर अंतिम व्यक्ति को भाजपा से जोड सकें या फिर भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं में भी भाजपा के प्रति विश्वास जगा सकें। सत्ता में आने के बाद जो हाल अशोक। गहलोत के मुख्य्मंत्री काल।में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हुआ था वही हाल भाजपा शासन में भाजपा कार्यकर्ताओं का कर दिया गया है।
-कार्यकर्ताओं में जबरदस्त मायूसी
पिछले दस साल में भाजपा के केन्द्र में सत्ता में आने के बाद भाजपा से जुडे लोगों में ही जबरदस्त मायूसी छाई है। जिस तरह से भाजपा ने दूसरी पार्टियों के भ्रष्ट नेताओं को जमावडा करके अपने नेताओं और कार्यकर्ता के साथ राष्ट्रवाद और भ्रष्टाचार मुक्त देष की विचारधारा को तिलांजलि दी हैं उसने कार्यकर्ताओं को मायूस किया है। भाजपा के विचारधारा की जड आरएसएस से जुडी हुई है।
आबूरोड के ही एक कार्यक्रम में एक पुराने प्रचारक से पुराने स्वयंसेवक भाजपा की सरकारों के द्वारा मूल विचारधारा को त्यागकर कांग्रेस की परंपरा अपनाने का दर्द साझा करते नजर आए थे। जिला संगठन ने सोषल मीडिया से बाहर जाकर काम किया नहीं। जिलाध्यक्ष पर कार्यकर्ता सरूपगंज और रेवदर उद्योगपतियों के इशारे पर संगठन चलाने का आरोप लगाते रहे। संगठन में जमीनी कार्यकर्ताओं की जगह व्यापारियों और उद्योगपतियों को जगह देकर कार्यकर्ता की जगह पार्टी कार्यक्रमों के फाइनेंसकर्ताओं को प्राथमिकता देने का आरोप लगा।
जिले से लेकर मंडलों तक ऐसे लोगों को पदों से नवाजने का आरोप लगा। रही सही कसर ब्यूरोक्रेसी ने पूरी कर दी। पिछले एक साल में प्रदेश समेत जिले में कहीं भी नहीं लग रहा है कि जनता की सरकार है। ब्यूरोक्रेसी इस कदर हावी है कि कार्यकर्ता जिन वायदों और समस्याओं के निस्तारण को लेकर जनता के बीच पहुंचे थे उनकी तो सुनवाई तक नहीं हो रही है। कार्यकर्ता की नेता और अधिकारी नहीं सुन रहे हैं, नेताओं और विधायकों की जयपुर सरकार नहीं सुन रही है, जयपुर सरकार की दिल्ली सरकार नहीं सुन रही है। यही वजह है कि अब भी राजस्थान के लोगों के दिमाग के मोदी- शाह की भाजपा वसुंधरा राजे की छाप को मिटा नहीं पाई है।
-दिए थे टारगेट
पार्टी सूत्रों के अनुसार संगठन के द्वारा जनप्रतिनिधियों और संगठन में पदो ंके अनुसार सदस्य बनाने का टारगेट दिया था। सांसदों को अपने संसदीय क्षेत्र में दस हजार और विधायकों को विधानसभा क्षेत्र में पांच हजार सदस्य बनाने का टारगेट है। इसी तरह प्रत्येक बूथ पर दो सौ सदस्य जोडने हैं। विधानसभा चुनावों में सिरोही जिले में 754 बूथ थे। इनमें सिरोही में 283 पिण्डवाडा आबू में 210 रेवदर में 261 बूथ थे।
प्रत्येक बूथ पर दो सौ सदस्य बनाने के लक्ष्य के हिसाब से सिरोही विधानसभा में 56 हजार 600, पिण्डवाडा आबू में 42 हजार, रेवदर विधानसभा में 52 हजार 200 सदस्य बनाने का लक्ष्य है। जिले में कुल डेढ लाख सदस्य बनाने थे। बूथों की जिम्मेदारी जिलाध्यक्ष और मंडल अध्यक्षों की थी। लेकिन, जिस तरह से पसंद नापसंद के अनुसार जिला संगठन चलाने के आरोप संगठन पर लगे उसका असर सदस्यता अभियान पर साफ नजर आ रहा है।
-टारगेट बने कई कार्यकर्ता
संगठन के नेताओं के करीबियों के हितों के टकराव पर जिला संगठन द्वारा कई कार्यकर्ताओं को मनमाने तरीके से संगठन से बाहर करने और पद छीनने के कई मामले सामने आए। सिरोही, माउण्ट आबू, आबूरोड जैसे शहरी इलाकों में भी ये देखे गए। ऐसे में लम्बे अर्से से पार्टी से जुडे कई कार्यकर्ताओं के भी सदस्यता अभियान में हिस्सा नहीं लेने की बात सामने आई।
पिछले एक साल में माउण्ट आबू के पार्षद सौरभ गांगडिया, सिरोही में मांगूसिंह बावली, भाजपा आबूरोड के पार्षद कमलेश सैनी, आरएसएस के स्वयंसेवक प्रभुसिंह के सोषल मीडिया पर वायरल संदेष ये बताने को काफी हैं कि जिले में भाजपा संगठन को किस तरह चलाया जा रहा है। कई ऐसे मामलों पर भी सवाल उठे जिनमें पसंद नापसंद के अनुसार टारगेट करके संगठन के संविधान को ताक में रखकर निष्कासन कार्रवाई कर पार्टी को खाली किया जा रहा है।
बिना प्रदेश संगठन की सहमति के जिले मे मोर्चों के जिलाध्यक्षों की बिना प्रदेश की अनुमति के घोषणा करने के बाद उपजे विवाद पर प्रदेश अध्यक्ष द्वारा जिला पदाधिकारियों के प्रति जताई गई नाराजगी भी इसका उदाहरण है कि संगठन का संचालन किस तरह से जिले में किया जा रहा है। आरएसएस के स्वयंसेवक प्रभुसिंह ने तो सोमवार को वायरल संदेश में ये आरोप तक लगाया कि जिले मे आरएसएस अब उस तरह के समर्पित लोग तैयार नहीं कर पा रही है जैसे पहले आरएसएस से निकलते थे।आरएसएस के स्वयंसेवक प्रभुसिंह ने तो सोमवार को वायरल संदेश में ये आरोप तक लगाया कि जिले मे आरएसएस अब उस तरह के नैतिक रुप से समर्पित लोग तैयार नहीं कर पा रही है जैसे पहले आरएसएस से निकलते थे। अब वो राजनीतिक कार्यकर्ता तैयार कर रही है।
आबूरोड के संत कंवरराम मार्केट की दुकानें अबेंडेंट घोषित, रेलवे ने दिए अतिक्रमण हटाने के नोटिस