जोधपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि हिंदी भाषा नहीं बल्कि संस्कृति और भारतीयता का गौरव है। मिश्र गुरुवार को जोधपुर में राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हिंदी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौर से लेकर वर्तमान काल तक भारत के सांस्कृतिक एवं जीवन मूल्यों को एक सूत्र में पिरोए रखा है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हिंदी ने पूरे देश को एकजुट रख कर देशवासियों में राष्ट्र प्रेम और स्वाभिमान की अद्भुत भावना जागृत करने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा की चर्चा करते हुए कहा कि बिना स्वदेशी व स्वभाषा के स्वराज सार्थक नहीं होगा।
मिश्र ने कहा कि हिंदी विश्व में सर्वश्रेष्ठ भाषाओं में एक है तथा अपनी सरलता, सहजता एवं व्यापकता के कारण पूरे देश में संपर्क भाषा के रूप में स्थापित हो गई है। संविधान ने भी हम सब पर राजभाषा हिंदी के विकास और प्रयोग-प्रसार का दायित्व सौंपा है। यह कार्य सभी के सहयोग और सद्भावना से ही संभव है। उन्होंने हिंदी के शब्द भंडार को निरंतर समृद्ध करने, हिंदी को तकनीक से आगे बढ़ाने और इसे विश्व अनुवाद की भाषा के रूप में विकसित किए जाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि हमारी व्यवस्था लोकतांत्रिक और जन-कल्याणकारी है। सरकार की कल्याणकारी योजनाएं तभी प्रभावी बन सकेंगी जब आम जनता उनसे लाभान्वित होगी। उन्होंने इसके लिए हिंदी को काम-काज की भाषा बनाए जाने पर जोर दिया।
राज्यपाल ने प्रौद्योगिकी से हिंदी को अधिकाधिक जोड़ने का आह्वान किया। इस अवसर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि भारत की संस्कृति को समझने के लिए भारत की भाषा को समझना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता से आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति इसी दिशा का एक सशक्त प्रयास है, आज हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं का प्रयोग और सम्मान बढ़ रहा है।