अजमेर। होली के उत्सव में रंगे शहर की गली मोहल्लों मे रविवार देर रात निर्धारित मुहूर्त पर होलिका दहन किया गया। पंचशील नगर के विभिन्न सेक्टर्स में अपार जनसमूह की मौजूदगी में होलिका दहन विधि-विधान से होलिका पूजन के बाद हुआ। होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किए जाने की परंपरा है।
होलिका दहन में पूजा कर माताओं बहनों ने घर में सुख-शांति, समृद्धि की कामना की। ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्वयं को ही भगवान मान बैठे हरिण्यकशिपु ने भगवान की भक्ति में लीन अपने ही पुत्र प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका के द्वारा जीवित जला देना चाहा था। हालांकि, भगवान ने भक्त पर अपनी कृपा की और प्रह्लाद के लिए बनाई चिता में स्वयं होलिका जल मरी। तभी से इस दिन होलिका दहन मनाने की परंपरा शुरू हुई।
इस बार अयोध्या में श्रीराम मंदिर में रामलला के विराजित होने से प्रफुल्लित आमजन में होली को लेकर उत्साह दोगुना नजर आया। होलिका दहन का मुहूर्त देर रात का होने से शाम से ही पूजा का सिलसिला चलता रहा। डीजे की धुन और भजनों की गूंज के बीच लोग खूब थिरके। अकेले पंचशील नगर में बी ब्लॉक, डी मार्ट, गणेश गुवाडी समेत अनेक स्थानों पर होलिका दहन के समय कॉलोनी के बाशिंदे उमड पडे। महिलाओं ने मंगल गीत गाए।
अजमेर में सोमवार से प्रारंभ होगी गणगौर पूजा
अजमेर में सोमवार से ‘गणगौर पूजा’ प्रारम्भ होगी। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा से गणगौर पूजा की परम्परा है जो 25 मार्च से शुरु होगी। इस बार गणगौर पूजा 18 दिन चलेगी, जो 11 अप्रैल को सम्पूर्ण होगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गणगौर की पूजा में कन्याएं मनचाहा वर प्राप्ति और महिलाएं अखण्ड सौभाग्य के लिए ‘ईसर-गणगौर’ की पूजा करेंगी। अनेकों के परिवारों में सामूहिकता के साथ पूजा का आयोजन किया जाएगा। महिलाओं व कन्याओं द्वारा ईसर (शिव) तथा गौरा(पार्वती) की पूजा अर्चना कर खुशहाली की कामना करेगी।
अजमेर में गणगौर की सवारी की सवारी मशहूर है। यहां घसेटी मंदिर और सोलथम्भा से निकलने वाली सवारी देखने लायक होती है। शहर की जनता इसे देखने के लिए उमड़ती है।