मानव अधिकार मूलतः भारतीय संस्कृति एवं परंपरा का हिस्सा : अनिल गुप्ता

मानवाधिकार क्लब के तत्वावधान में संगोष्ठी
अजमेर। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में मंगलवार को मानवाधिकार क्लब के तत्वावधान में संगोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि सेवानिवृत प्रो (डॉ) अनिल गुप्ता रहे तथा अध्यक्षता प्राचार्य प्रो (डॉ) मनोज कुमार बहरवाल ने की।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि मानव अधिकार मूलतः भारतीय संस्कृति एवं परंपरा का हिस्सा है। आपने त्रेता एवं द्वापर युग के उदाहरणों से मानवाधिकार एवं मानव कर्तव्यों में तारतम्य स्थापित किया। उन्होंने बताया कि मानव- मानव धर्म – मानव कर्तव्य ही हमारी संस्कृति का मूल कर्तव्य है।

प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार बहरवाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में 19वीं सदी के युग प्रवर्तक एवं समाज सुधारक ज्योतिबा फुले एवं सावित्रीबाई फुले का उदाहरण देते हुए कर्तव्य एवं अधिकारों के मध्य संतुलनकारी संरचना के रूप में मानव अधिकारों को स्थापित किए।

उन्होंने भारतीय इतिहास की घटनाओं को साक्ष्य रखते हुए 1902 में साहू छत्रपति महाराज के कर्तव्य बौद्ध 1930 गोलमेज सम्मेलन में बाबा डॉ. भीमराव अंबेडकर के तथ्यों को सदन के समक्ष रखा।

प्रो. भारती प्रकाश ने स्त्री मानवाधिकारों को रेखांकित करते हुए कहा कि आधी आबादी को जन्म देने वाली आधी आबादी निरंतर मानवाधिकारों से वंचित है। डॉ. विमल कुमार महावर ने अमरीकी एवं फ्रांसीसी स्वतंत्रता संग्रामों का उदाहरण देते हुए मानवाधिकारों की पाश्चात्य अवधारणा को विश्लेषित किया।

राजनीति विज्ञान विभाग की शोधार्थी राजू देवी ने दलित महिलाओं की यथार्थ स्थिति का मानवाधिकारों के संदर्भ में विवरण प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में शोधार्थी आशीष मिरचंदानी, विद्यार्थी हरीश ग्वाला ने भी इस विषय में अपने विचार प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. गायत्री ने किया तथा सभी आगंतुकों का मानव अधिकार क्लब के संयोजक डॉ. मनोज अवस्थी ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मानवाधिकार क्लब में डॉ. चंदा केसवानी, डॉ. गेबरियल खान, डॉ. विजय कुमार, डॉ. हेमलता, डॉ. निधि यादव, डॉ. ममता सोलंकी, डॉ. सरोज कुमार उपस्थित थे।