नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया चैनलों को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में रक्षा अभियानों और सुरक्षा बलों की आवाजाही का सीधा प्रसारण न करने की सलाह दी है और कहा है कि अभियानों के मामले में खबर देते समय अभियान पूरा होने और आधिकारिक ब्रीफिंग के आधार पर ही रिपोर्ट दी जाए।
मंत्रालय ने सभी मीडिया प्लेटफार्मों, समाचार एजेंसियों और सोशल मीडिया का उपयोग करने वालों को इस विषय में वर्तमान सभी नियम कानूनों का कड़ाई से अनुपालन करने को कहा है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को भारत के निर्दोष नागरिकों पर पाकिस्तान प्रायोजित बर्बर आतंकवादी हमले के बाद मंत्रालय ने शनिवार को जारी इस आशय के परामर्श में कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में, सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स, समाचार एजेंसियों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे अत्यंत जिम्मेदारी के साथ काम करें और रक्षा एवं अन्य सुरक्षा से संबंधित अभियानों की रिपोर्टिंग करते समय मौजूदा कानूनों और नियमों का सख्ती से पालन करें।
परामर्श में मीडिया मंचों से यह विशेष ध्यान रखने को कहा गया है कि रक्षा अभियानों या बलों की गतिविधियों से संबंधित किसी भी प्रकार का (तत्काल) रियल-टाइम (तत्क्षण) कवरेज, लाइव प्रसारण, या सूत्रों पर आधारित जानकारी का प्रकाशन नहीं किया जाना चाहिए।
बयान में कहा गया है कि संवेदनशील जानकारी का समय से पहले खुलासा करने से शत्रुतापूर्ण तत्वों को मदद मिल सकती है और इससे अभियानों की प्रभावशीलता और सुरक्षा बलों के कर्मियों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
इसी संदर्भ में कहा गया है कि कारगिल युद्ध, मुंबई आतंकी हमले (26/11) और कंधार अपहरण जैसी घटनाओं के दौरान, अनियंत्रित कवरेज का राष्ट्रीय हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। मंत्रालय ने सलाह दी है कि मीडिया कवरेज को सरकार द्वारा नामित अधिकारी द्वारा समय-समय पर की गई ब्रीफिंग तक सीमित किया जा सकता है, जब तक कि अभियान समाप्त न हो जाए।
मंत्रालय ने कहा कि मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म और पर्सनल यूजर राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कानूनी दायित्वों के अलावा, यह हमारी सामूहिक नैतिक जिम्मेदारी भी है कि हम अपनी कार्रवाइयों से जारी अभियानों या सुरक्षा बलों की सुरक्षा से समझौता न करें।