सबगुरु न्यूज-सिरोही। विधानसभा चुनाव में राजस्थान में सिर्फ एक परिवर्तन हुआ। अषोक गहलोत की जगह मुख्यमंत्री का चेहरा भजनलाल हो गए। मुख्यमंत्री का चेहरा और नाम बदलने के अलावा सरकार की कार्य प्रणाली में कोई फर्क देखने को पिछले करीब आठ महीने से तो नहीं मिला रहा है।
भजनलाल सरकार भी अषोक गहलोत सरकार की उसी नीति पर चल रही है जिसके कारण तमाम लोक कल्याणकारी योजनाओं के बाद भी सत्ता से बेदखल कर दी गई। वो वजह है बैड गवर्नेंस।
– न फोन पर मिलेंगे ना कार्यालय में
अषोक गहलोत सरकार में हर जिले में अधिकारियों की कार्यप्रणाली स्वच्छंद और गैर जिम्मेदाराना रही थी। इसे लेकर उनके मंत्रियों ने कई बार आपत्तियां भी जताई थी। यही हाल भजनलाल सरकार का है। इसमें भी छह मंत्री आपतियां जता चुके हैं। सिरोही समेत हर जिले में ये स्थिति हो चुकी हैं कि अधिकारी न तो फोन पर मिलते हैं और न ही कार्यालयों में।
– कोई समय सीमा का पालना नहीं
जिले में सभी कार्यालयों में अधिकारियों के मिलने और जनसुनवाई का समय लिखा हुआ है। गवर्मेंट बदलने के बाद गवर्नेंस बदलने का मुगालता पाले राजस्थान के लोगों की गलतफहमी सरकारी कार्यालयों में दूर हो जाती है। दिए गए समय पर अधिकारियों का मिलना लगभग मुष्किल होता है। लोगों को सरकारी कार्यालयों में धक्के खाना आम हो चुका है। अधिकारी और कर्मचारी कार्यालयों और दूरभाष दोनों पर जवाब और जवाबदेही से नदारद मिलते हैं।
– वीसी अनेक, जनसुनवाई नदारद
कई अधिकारी आदतन इस हरकत के षिकार हैं तो कई राज्य सरकार के द्वारा की जा रही अनगिनत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को इस लगातार अव्यवस्था का दोषी बता रहे हैं। स्टाफ के अभाव में एक-एक अधिकारी के पास कई कई चार्ज हैं। फिर सचिवालयों, राज्य मुख्यालयों, कलेक्टर कार्यालय और उपख्यण्ड अधिकारी कार्यालयों से वीसियों में उपस्थिति और बैठकों में आने का दबाव अलग। ऐसे में कार्यालयों में भी टिकना मुष्किल हो चुका है।