चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को अपने पहले सौर खोज मिशन अंतरिक्ष यान आदित्य-एल1 को लैग्रेंज-एल1 बिंदु पर हेलो कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करके इतिहास रच दिया।
इसरो ने कहा कि चार महीने की लंबी यात्रा पूरी करने और 15 लाख किमी की यात्रा करने के बाद, यह आज शाम लगभग 1600 बजे एल1 बिंदु पर पहुंच गया। इसरो ने कहा कि सौर वेधशाला अंतरिक्ष यान, आदित्य-एल1 का हेलो-ऑर्बिट इंसर्शन (एचओआई) 06 जनवरी, 2024 भारतीय समयानुसार (आईएसटी) को लगभग 1600 बजे पूरा किया गया।
सबसे गर्म ग्रह के बाहरी वातावरण का अध्ययन करने की उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया। इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यान को हेलो कक्षा में सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज पॉइंट एल1 पर ले जाने के लिए उसमें लगे एमएएम मोटर्स को चालू किया।
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि भारत का पहला सौर मिशन आदित्य एल1 2 सितंबर, 2023 को प्रक्षेपित होने के 127 दिन बाद 6 जनवरी को एल1 बिंदु पर पहुंच गया।
सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित वेधशाला आदित्य-एल1 को 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था। इसके बाद, आईएसटीआरएसी ने तीन सितंबर से 15 सितंबर के बीच चार पृथ्वी-संबंधी युद्धाभ्यास किए।
इसरो ने कहा 19 सितंबर को आदित्य-एल1 ने ट्रांस-लैग्रेन्जियन एक सम्मिलन युद्धाभ्यास किया, जो एल1 बिंदु के आसपास गंतव्य के लिए अपने 110-दिवसीय प्रक्षेप पथ की शुरुआत का प्रतीक है। एल1 पृथ्वी से लगभग 10 लाख 50 हजार किमी दूर है और पृथ्वी से एल1 की दूरी पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग एक प्रतिशत है।
एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित आदित्य-एल1 उपग्रह के साथ यह बिना किसी ग्रहण/ग्रहण के लगातार सूर्य को देख सकेगा। इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा। आदित्य-एल1 विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टरों का उपयोग करके प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाता है।
एल1 के विशेष सुविधाजनक बिंदु का उपयोग करते हुए, चार पेलोड सीधे सूर्य को देखेंगे और शेष तीन पेलोड एल1 पर कणों और क्षेत्रों का यथास्थान अध्ययन करेंगे। इसरो ने कहा कि पांच वर्षों के मिशन जीवन के साथ, आदित्य-एल1 पेलोड से कोरोनल हीटिंग की समस्या को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने की उम्मीद है।
भारत अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों पर, आदित्य एल1 ने साधा जटिल लक्ष्य
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूर्य के अध्ययन के लिए प्रक्षेपित अपने वेधशाला उपग्रह ‘आदित्य-एल1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित विशिष्ट परिक्रमा क्षेत्र में पहुंचाने के जटिल लक्ष्य को साधकर अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा।
इस सफलता की घोषणा करते हुएये इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के अपने ‘इसरो आदित्य एल1’पृष्ट लिखा -‘आदित्य एल1 की ओर से बधाई संदेश! मैं अपने गृह ग्रह से 15 लाख किमी दूर लैग्रेंज प्वाइंट एल1 पर सुरक्षित पहुंच गया हूं।.. दूर रहने को लेकर रोमांचित हूं, फिर भी सौरमंडल के रहस्यों को जानने के लिए गहराई से जुड़ा हुआ हूं #इसरो’
एल1 यानी (लैग्रेंज प्वाइंट-1) सौरमंडल में सूर्य और धरती जैसे बड़े पिंड के सापेक्ष तीसरे (आदित्य उपग्रह) जैसे परिक्रमाशील छोटे पिंड पर गुरुत्वाकर्षण बलों तथा उस पिंड के अपक्रेंद्रीय (केंद्र से दूर ले जाने वाले) तथा अभिकेंद्रीय (केंद्र की ओर ले जाने वाले) बल के बीच एक ऐसा संतुलन स्थापित करने वाला सापेक्ष बिंदु है, जिस पर यह उपग्रह टिका रह सकता है और उसे वहां बने रहने के लिये ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती। इस सौर मंडल में एल1 के अलावा ऐसे चार और बिंदु खोजे गए हैं।
आदित्य-एल 1 इस कक्षा में दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटा कर इसरो को भेजेगा। चंद्रयान की सफलता के कुछ ही दिन बाद इसरो ने सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य एल1 मिशन को दो सितंबर को प्रारंभ किया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सफलता के लिए इसरो के वैज्ञनिकों को बधाई दी है। मुर्मू ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने कहा कि इस महान उपलब्धि के लिए पूरे भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को बधाई!
राष्ट्रपति ने कहा कि यह मिशन सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाएगा और पूरी मानवता को लाभान्वित करेगा। वह इसरो मिशनों में महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भागीदारी महिला सशक्तिकरण को भी उच्च स्तर पर ले जाती है।
मोदी ने एक्स पर इसरो की सराहना करते हुए लिखा कि भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई। सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। यह असाधारण उपलब्धि सराहना योग्य है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि वह इस असाधारण उपलब्धि के लिए इसरो की सराहना करने में वह देश के साथ शामिल हैं।