भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें दुनिया में सबसे कम : हरदीप सिंह पुरी

.नई दिल्ली। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें सबसे कम है।

पुरी ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर तेल कीमतों का उल्लेख करते हुए कहा कि काेरोना के दौरान मांग नहीं होने के कारण तेल की कीमत 19 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गई थी, लेकिन उसके बाद मांग बढ़ने पर यह 128 डॉलर प्रति बैरल तक चढ़ा। इसके कारण तेल विपणन कंपिनयों को 28 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ जिसमें से 22 हजार रुपए की भरपाई केन्द्र सरकार ने की है और शेष राशि की भरपाई तेल की बढ़ी कीमतों से की जा रही है।

उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त कर बाजार आधारित कर दिया था जिसके कारण अब इसकी कीमतें बाजार से तय होती है। मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतें दो बार कम की है और अभी जो कीमत है वह पाकिस्तान, बांगलदेश और श्रीलंका की तुलना में बहुत कम है। उन्होंने कहा कि तेल कीमतें पंप मालिक मार्जिन, परिवहन लागत, रिफाइनरी लागत आदि सभी को ध्यान में रखते हुए तय की जाती है।

उन्होंने कहा कि संप्रग के कार्यकाल में तेल कीमतों को कम दिखाने के लिए 1.40 लाख करोड़ रुपए से अधिक के तेल बॉण्ड जारी किए थे और उससे तेल सब्सिडी दी गई थी। संप्रग सरकार द्वारा जारी इस तेल बॉण्ड को मोदी सरकार चुका रही है और अब तक 3.50 लाख करोड़ रुपए चुकाए जा चुके हैं। यह वहीं कहावत है कि ‘दादा ले और पौता भरे।’

पुरी ने कहा कि देश के पेट्रोल पंप मालिको को जो मार्जिन दिया जाता है उसमें 2017 में बढ़ोतरी की गई थी, लेकिन पंप मालिक अदालत में चले गए और मामला लटक गया। इसमें फिर से वृद्धि की मांग की जा रही है। देश में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल वितरण कंपनियों के पंप मालिकों को निजी क्षेत्र की कंपनियों की तुलना में अधिक मार्जिन दिया जा रहा है।

उन्होंने एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि देश में अभी डीजल में इथेनॉल मिश्रण का परीक्षण चल रहा है और जब तक इसे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं पाया जाता है जब तक इसका व्यवसायिक स्तर पर मिश्रण नहीं शुरू नहीं हो पाएगा।

पुरी ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी देते हुए कहा कि तेल विपणन कंपनियों ने डीजल में सात प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का परीक्षण किया है और यह सफल रहा है लेकिन अभी भी इसको लेकर परीक्षण किया जा रहा है। जबतक कंपनियां इसको पूरी तरह से सुरक्षित नहीं पाएगी तब तक इसका व्यवसायिक स्तर पर मिश्रण संभव नहीं है।

उन्होंने बताया कि अभी पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण किया जा रहा है और इसको 15 प्रतिशत तक पहुंचाने का काम चल रहा है। अभी तक चार हजार करोड़ लीटर इथेनॉल का पेट्रोल में मिश्रण किया जा चुका है और चालू वित्त वर्ष के अंत तक इसको बढ़ाकर 10 हजार करोड़ लीटर तक ले जाने की तैयारी है।