अंगदान में भारत बने विश्व के लिए मिसाल : जगदीप धनखड़

जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अंगदान को समाज की आवश्यकता बताते हुए कहा है कि अंगदान में भारत विश्व के लिए एक मिसाल बनना चाहिए।

धनखड़ रविवार को यहां बिरला सभागार में देहदानियों के परिजनों को सम्मानित समारोह में बोल रहे थे। धनखड़ और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी में दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। समारोह में धनखड़ ने कहा कि अंगदान का कार्य समाज की प्रतिभा को बल देने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारी सांस्कृतिक ऐतिहासिक विरासत में बलिदानों का उल्लेख है। देहदानी अपनी आने वाली पीढ़ियों का सिर ऊंचा रखने वाला कार्य कर जाता है। उन्होंने कहा कि अंगदान में भारत विश्व के लिए एक मिसाल बनना चाहिए।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि अंगदान जीवनदान है। यह गौरवमयी और अदभुत समारोह भारत की प्राचीन संस्कृति, आदर्श और मूल्यों से जुड़ा हुआ है। पहले लोगों में अंगदान के प्रति भ्रांति थी लेकिन अब लोग अंगदान के महत्व को समझ रहे हैं और उसके लिए प्रेरित हो रहे हैं।

देवनानी ने कहा कि एक शरीर से आठ अंगों का दान किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह अंगदान जैसे महत्वपूर्ण कार्य की प्रक्रिया से जुड़े और आवश्यकता होने पर अंगदान अवश्य करें। उन्होंने अंगदान के प्रति जागरूकता का समाज में प्रसार करने की जरूरत बताते हुए कहा कि यह मानवता के लिए प्रेरणादायी कार्य है। प्रत्येक व्यक्ति दृढ़ निश्चय के साथ अंगदान करके और देहदान का प्रण लेकर समाज के लिए प्रेरणा बन सकता है।

इस अवसर पर देवनानी ने प्रोफेसर स्मृति शर्मा भाटिया की नव प्रकाशित पुस्तक ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन का विमोचन भी किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा, उपमुख्यमंत्री डा प्रेमचंद बैरवा भी मौजूद थे।

अपनी मां के नाम कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाएं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि अपनी मां के नाम कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाया जाना चाहिए ताकि इससे जलवायु परिवर्तन की समस्या के निराकरण में सहयोग मिलेगा और वातावरण भी बहुत शानदार होगा।

एक कार्यक्रम में भाग लेने आए धनखड़ ने रविवार को यहां यह बात कही। उन्होंने कहा कि पूरे देश मे मां के नाम एक पेड़ से क्रांति आ जानी चाहिए। इसके सार्थक नतीजे निकलेंगे, और खुद को बहुत जबरदस्त अनुभूति प्राप्त होगी।

उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि अपनी मां के नाम कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाएं। गांव हो चाहे शहर हो, कोई संस्थान हो, यह समय में लगाएं इसका हमारी जलवायु परिवर्तन की जो समस्या है उसके निराकरण मे कुछ सहयोग होगा और वातावरण भी बहुत शानदार होगा। इससे ज्यादा श्रद्धाभाव, श्रद्धासुमन समाज के प्रति नहीं हो सकता जो हमारी जननी है। उन्होंने कहा “मैं मानकर चलता हूं कि इसमे समाज का हर वर्ग सक्रियता दिखाएगा।

उन्होंने कहा कि हमें एक पेड़ मां के नाम को जुनून के साथ मिशन मोड में लेना चाहिए, उस मां को सर्वोच्च श्रद्धांजलि के साथ जिससे हम अस्तित्व में आए और यही हमारी मातृभूमि के लिए सच्चा योगदान भी होगा।