परीक्षित मिश्रा
सिरोही। जालोर, सिरोही और सांचैर तीनों जगहों के निर्वाचन अधिकारी फिलहाल नींद में हैं। उनके जिलों में कई जगह पर चुनाव आयोग के द्वारा दी गई ताजा गाइडलाइन का उल्लंघन हो रहा है। तीनों जिला निर्वाचन अधिकारियों की नजर इस पर नहीं पड रही है और या फिर वो इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। जो स्थिति है उससे स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि तीनों जिलों के निर्चाचन अधिकारी इस पर से आंख मूंदे हुए बैठे है।
वैसे ये मुद्दा भाजपा का बनता है। लेकिन, जो हालात जालोर लोकसभा में भाजपा का है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि वे अब भी साइकिल पर बैठकर चुनाव परिणाम बदल देने वालों के इंतजार में बैठे हुए हैं। ये बात अलग है कि सिरोही में तो कथित रूप से इन चुनाव परिणाम बदलने वालों के आला अधिकारी ही नववर्ष प्रतिपदा पर इनकी कार्यप्रणाली से नाखुशी जता चुके हैं। क्योंकि साइकिल पर बैठकर आकर चुनाव परिणाम बदलता तो भाजपा रेवदर नहीं हारती और न् ही पिंडवाड़ा आबू विधानसभा में जीत का अंतर आधा होता।
कई जगह प्रचार सामग्री के साथ नजर आ रहे हैं बच्चे
वैभव गहलोत के फेसबुक पेज पर ऐसी अनेकों फोटो हैं जिनमें वे खुद बच्चों के साथ हैं। बच्चों के हाथों में कांग्रेस के चुनाव चिन्ह हैं। कहीं बच्चों के गले में कांग्रेस का दुपट्टा है तो कहीं वैभव गहलोत के पेम्फलेट। अधिकांश जगह हाथ में कांग्रेस की प्रचार समाग्री लिए हुए बच्चों से घिरकर वैभव गहलोत ने फोटो खिंचवाई हुई है। एक वीडियो में तो वो अपनी गाड़ी की छत पर हाथ में कांग्रेस की प्रचार सामग्री लेकर प्रचार करते हुए नजर आए हैं।
जालोर के बोरटा, नरता, बादनवाडी, बागा भीनमाल के लूर, तवाव सिरोही के वाटेरा और रोहिडा जैसे कई गांवों में वैभव गहलोत और उनकी पत्नी चुनाव प्रचार के समय बच्चों के साथ दिख रहे हैं। इन बच्चों के गले या हाथ में कांग्रेस की प्रचार सामग्री है। नामांकन पत्र में ही सभी प्रत्याषियों के सोषल मीडिया हेंडल के एडे्रस लिए गए हैं। इसके बाद भी तीनों जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं।
चुनाव आयोग के सख्त निर्देश
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने अपनी पत्रकार वार्ता में इस बात का स्पष्ट निर्देश सभी राजनीतिक पार्टियों को दिए थे कि वे चुनाव प्रचार के दौरान किसी बच्चे को गोद में लेने, बच्चे को अपनी गाडी में बिठाने, बच्चे के हाथ में कोई चुनाव प्रचार सामग्री नहीं देगा। ऐसा पाया जाता है तो ये आचार संहिता उल्लंघन की श्रेणी में आएगा।
यदि कोई बच्चा किसी चुनावी सभा या रैली में अपने माता-पिता के साथ आकर खडा रहता है तो इस सूरत में चुनाव आयोग ने इसे अलग केस माना है। लेकिन, वैभव गहलोत और उनके परिवारजन के चुनाव प्रचार के दौरान चुनाव आयोग के निर्देशों के विपरीत बच्चेे हाथ और गले में चुनाव प्रचार सामग्री लिए हुए और गाड़ी पर बैठक उसे प्रदर्शित करते हुए स्पष्ट नजर आ रहे हैं।