इस्लामाबाद। बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने पाकिस्तानी सेना के इस दावे को गुरुवार को झूठा बताया कि उसने रेलगाड़ी अगवा करने वाले विद्रोहियों को पराजित कर बंधकों को छुड़ा लिया है।
बीएलए के प्रवक्ता जीयंद बलोच ने कहा है कि पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के प्रवक्ता द्वारा किए गए दावे झूठ और हार को छिपाने की एक नाकाम कोशिश है।
उन्होंने एक बयान में कहा कि जमीनी हकीकत यह है कि कई मोर्चों पर लड़ाई जारी है और दुश्मन को भारी नुकसान और सैन्य क्षति हो रही है। ट्रेन के कब्जे स्थान पर सेना न तो जीत हासिल कर पाई है और न ही अपने बंधक कर्मियों को बचाने में कामयाब रही है।
बीएलए प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान के अधिकारियों ने जिन व्यक्तियों को बरामद करने (छुड़ाने) का दावा किया है, उन्हें बीएलए ने ही अपने युद्ध नैतिकता और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के तहत रिहा किया था।
बीएलए प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तानी सेना अपने ही कर्मियों को बंधक बनाकर छोड़ने का नाटक कर कर छूटा प्रचार कर रही है और इसका मकसद सेना की हार को छुपाना है।
उन्होंने कहा कि संघर्ष जारी है और हम सभी मोर्चों पर दुश्मन को पीछे हटने के लिए मजबूर कर रहे हैं। जमीनी लड़ाई में विफल होने के बाद सेना ने निहत्थे नागरिकों पर हमला करके अपनी सैन्य लाचारी का बदला लेने के प्रयास में स्थानीय बलूच आबादी को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
बीएलए ने कहा है कि पाकिस्तान सरकार को युद्धबंदियों के मुद्दे पर गंभीरता दिखाने और कैदियों की अदला-बदली की दिशा में कदम उठाने का मौका दिया था, लेकिन अपने सैनिकों की जान बचाने के बजाय, कब्जे वाली सेना युद्ध पर अड़ी हुई है। अब जबकि सरकार ने अपने बंधकों को मरने के लिए छोड़ दिया है, तो उनकी मौत की जिम्मेदारी भी उसी की होगी।
बीएलए पाकिस्तान को जमीनी हकीकत स्वीकार करने की चुनौती देता है। अगर कब्जे वाली सेना वाकई जीत का दावा करती है, तो उसे स्वतंत्र पत्रकारों और निष्पक्ष स्रोतों को युद्धग्रस्त इलाकों में जाने की अनुमति देनी चाहिए ताकि दुनिया को पता चल सके कि पाकिस्तानी सेना को कितना नुकसान हुआ है।
बीएलए प्रवक्ता ने कहा यह लड़ाई अब पाकिस्तानी के नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। हर टकराव में दुश्मन की हार अपरिहार्य है और बीएलए इस युद्ध को अपनी शर्तों पर तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाने के लिए पूरी ताकत से लड़ रहा है।
50 और बंधकों को मार कर बीएलए ने दिया पाकिस्तानी आक्रमण का जवाब