महात्मा ज्योतिबा फूले की 197वीं जयंती पर उमडा जनसैलाब
पांच दिवसीय महोत्सव में रही विभिन्न आयोजनों की धूम
अजमेर। विशाल वाहन रैली और सामाजोत्थान का संदेश देती झांकियों के साथ गुरुवार को अजमेर में पांच दिवसीय महात्मा ज्योतिबा फूले जयंती महोत्सव सम्पन्न हुआ। झिलमिल रोशनी और फूल मालाओं से आकर्षक ढंग से सजाए गए ज्योतिबा फूले स्मारक को हजारों लोगों ने निहारा। सेल्फी लेने की होड मची रही। इस मौके पर माली सैनी समाज के साथ कई अन्य संस्थाओं ने भी ज्योतिबा फूले को पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें 197वीं जन्म जयंती पर याद किया।
झांकियों से लबरेज विशाल वाहन रैली का दिखा जलवा
ज्योतिबा फूले जयंती के अवसर पर माली सैनी समाज की संस्थाओं ने एकजुट आकर विशाल वाहन रैली निकाली। यह वाहन रैली गुलाबबाडी स्थित राधा रानी गार्डन से शाम 5 बजे आरंभ हुई। रैली नौ नंबर पेट्रोल पंप, मार्टिंडल ब्रिज, जीसीए चौराहा, केसरगंज, पडाव, मदारगेट, चूडी बाजार, नया बाजार, आगरा गेट, अग्रसेन चौराहा, बस स्टेंड होती हुई ज्योतिबा फूले सर्किल पहुंची। बग्गी पर सबसे आगे समाजसेवी एवं भामाशाह त्रिलोक चंद इंदौरा गाजे बाजे के साथ चल रहे थे। घोडों पर ध्वज थामे युवाओं की टोली रही। खुली जीपों में सवार महिलाओं ने खूब जोशीले नारे लगाए। वाहन रैली के साथ सामाजिक जनजागृति का संदेश देती झांकियों के साथ श्याम बाबा, राम दरबार, शिव परिवार की झांकियों को देखने के लिए सडक के किनारे अपार जनसमूह उमड पडा। वाहन रैली का मार्ग में विभिन्न व्यापारिक संगठनों, संस्थाओं ने पुष्पवर्षा, फल, आईसक्रीम, शीतल पेय वितरण कर भव्य स्वागत किया। देश की प्रथम महिला शिक्षिका मां सावित्री बाई फूले की पाठशाला वाली झांकी के जरिए शिक्षा के महत्व को बखूबी समझाया गया।
स्मारक की फूलों से सजावट, भव्य आतिशबाजी
ज्योतिबा फूले स्मारक और ज्योतिबा फूले सर्किल शाम होते ही आकर्षक लाइटों की रोशनी से जगमगा उठा। उस पर दीपदान ने भव्यता को चौगुना कर दिया। महात्मा ज्योति फूले राष्ट्रीय जागृति मंच के अध्यक्ष पूनमचंद मारोठिया की ओर से फूलों से सजाए गए स्मारक की आभा देखते ही बन रही थी। दिनभर स्मारक पर सेल्फी लेने वालों का तांता लगा रहा। देर शाम ज्योतिबा फूले सर्किल पर 30 मिनट तक हुई आतिशबाजी से आकाश रंग बिरंगी रोशनी से नहा उठा। माली सैनी जागृति संस्थान की ओर से शीतल पेय मिल्क शेक की भरपूर व्यवस्था की गई।
इनकी मौजूदगी और प्रयास से जयंती आयोजन रहा सफल
ज्योतिबा फूले स्मारक पर भामाशाह त्रिलोकचंद इंदौरा के सान्निध्य में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि सम्राट पृथ्वीराज राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो मनोज बहरवाल, विशिष्ट अतिथि शारदा मालाकार, पार्षद बीना टांक, हेमराज खारोलिया, हेमेन्द्र सिंगोदिया, बालमुकुंद टांक, गणेश टांक, राजेश भाटी, जितेन्द्र मारोठिया रहे। आयोजनकर्ता पूनमचंद मारोठिया ने समस्त अतिथियों का मान सम्मान किया। मंच संचालन माखनलाल मारोठिया ने किया। इस मौके पर किशोर भाटी, सुनील अलूदिया, रवि उबाना, उर्मिला मारोठिया, एडवोकेट बबिता टांक, शोभा अलूदिया, चंद्र शेखर चौहान, बबीता चौहान, किरण गढवाल समेत बडी संख्या में माली सैनी समाज के लोग मौजूद रहे।
प्रतियोगिता के विजेताओं और सेवा देने वालों का हुआ सम्मान
ज्योतिबा फूले जयंती के अवसर पर ज्योतिबा फूले सर्किल पर आयोजित सम्मान समारोह में पांच दिवसीय महोत्सव के दौरान आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिता की विजेता टीम श्री कृष्णा क्लब तोपदडा को र्टाफी के साथ 3100 रुपए नकद तथा उपविजेता टीम बलवंता क्ल्ब को 1100 रुपए व ट्राफी प्रदान की गई। इसी तरह संपूर्ण आयोजन के दौरान जलसेवा उपलब्ध कराने वाले सोहन तूनवाल, फोटो ग्राफी के लिए शंकर टांक का समस्त माली समाज की ओर से बहुमान किया। महिला खूलकद प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए सावित्री बाई फूले महिला सैनी संस्थान की अध्यक्ष शारदा मालाकार का भी माला पहनाकर तथा शॉल ओढाकर सम्मानित किया गया। रक्तदान शिविर से महोत्सव की शुरुआत करने वाली संस्था माली सैनी संस्थान के अध्यक्ष राजेश भाटी और रक्तदान करने वाले समस्त रक्तदाताओं की खूब सराहना की गई।
फूले ने साबित किया समाजोत्थान के लिए शिक्षा जरूरी : बहरवाल
समापन समारोह के मुख्य अतिथि सम्राट पृथ्वीराज राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो मनोज बहरवाल ने कहा कि आज का दिन सिर्फ महात्मा ज्योतिबा फूले की केवल जन्म जयंती का दिन नहीं बल्कि प्रेरणा का अवसर है। ज्ञानम परम बलम को उन्होंने चरितार्थ किया। देश के लिए फूले दंपती अनमोल उपहार हैं। तत्कालीन समाज दकियानूसी था। रूढीवाद और अनगिनत कुप्रथाओं को उन्होंने समझा और इनसे निपटने के लिए सबसे पहले शिक्षा को महत्व दिया। समाजोत्थान के काम करते हुए साल 1848 में उन्होंने अपने स्तर पर शिक्षा की अलख जगाने के प्रयास शुरू किए। घर परिवार के विरोध के बावजूद वे रुके नहीं, निरंतर लक्ष्य की ओर बढते रहे। पत्नी उनके लक्ष्य में सहभागी बनी। बाल विवाह की रोकथान, विधवा विवाह की आवश्यकता को समझाया। शिक्षा को लेकर उनका मत स्प्ष्ट था। शिक्षा बिना मति नहीं, मति बिना नीति नहीं, नीति बिना गति नहीं, गति बिना पैसा नहीं। बस उनके इसी मत में देश और समाज की प्रगति का मार्ग निहित है। ज्योतिबा फूले के बताए लक्ष्य और कर्तव्य पथ पर बढते रहने का हम संकल्प लेकर जाएं।
ज्योतिबा फूले जयंती : दिनभर चला पुष्पांजलि अर्पित करने का सिलसिला