चित्रदुर्ग। कर्नाटक में पित्रदुर्ग जिले की एक अदालत ने मुरुघा मठ के महंत शिवमूर्ति शरण को यौन अपराध बाल संरक्षण (पोस्को) अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के मामले में गवाहों से पूछताछ पूरी होने के बाद मंगलवार को उनकी जमानत याचिका को मंजूरी दे दी।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने शरण को जमानत देते हुए उनके चित्रदुर्ग जिले में प्रवेश पर रोक लगा दी है और कहा कि वह दावणगेरे में मठ इकाई में रहेंगे।
जमानत मिलने के बाद शरण ने कानूनी कार्यवाही के बारे में आशा व्यक्त करते हुए कहा कि मैं केवल इतना कहूंगा कि भगवान की कृपा से मैं आज जेल से बाहर हूं। कानूनी लड़ाई जारी है और मुझे उम्मीद है कि सत्य की जीत होगी।
मुरुघा मठ के अंतरिम प्रमुख बसवप्रभु स्वामी ने अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि हमें खुशी है कि उन्हें आखिरकार जेल से रिहा कर दिया गया है।
शरण को सितंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह चित्रदुर्ग जिला जेल में बंद थे। मठ द्वारा संचालित संस्था की लड़कियों द्वारा यौन दुराचार की शिकायत दर्ज कराने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुरू में उन्हें नवंबर 2023 में जमानत दी थी, लेकिन बाद में उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि उन्हें 13 गवाहों से पूछताछ के बाद ही रिहा किया जा सकता है।
शरणा के खिलाफ 26 अगस्त 2022 को दर्ज पहली प्राथमिकी में पोक्सो अधिनियम के तहत आरोप हैं, जबकि बाद की शिकायतों में मठ के रसोइए के आरोप शामिल थे, जिसमें दावा किया गया था कि मठ परिसर में संत ने अपनी बेटियों और अन्य नाबालिगों का यौन उत्पीड़न किया था।