नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर करके 14 फरवरी 2022 को बेंगलूरु में आयोजित विरोध प्रदर्शन के मामले में उनके अलावा कुछ अन्य नेताओं के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही की वैधता पर मुहर लगाने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है।
शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट के छह फरवरी 2024 के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें सिद्दारमैया के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की उनकी याचिका खारिज करने के अलावा अदालत का कीमती समय बर्बाद करने के एवज में 10,000 अदा करने का आदेश दिया गया था।
उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया है कि वर्तमान कार्यवाही (उनके अलावा अन्य लोगों पर) कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है। अस्पष्ट आरोपों के आधार पर कार्यवाही अनुचित उत्पीड़न होगा।
उनकी याचिका में यह भी कहा गया है कि शिकायत की गई घटना लगभग एक घंटे तक चली थी और जुलूस के किसी भी सदस्य के खिलाफ कोई हिंसक कार्रवाई या आपराधिक बल का उपयोग करने का आरोप नहीं लगाया गया था।
इस प्रकार यह तर्क दिया गया है कि ऐसी छोटी घटनाओं पर कार्रवाई जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जहां कोई आरोप नहीं है। प्रदर्शन का आयोजन एक सिविल ठेकेदार की मौत के बाद तत्कालीन मंत्री के एस ईश्वरप्पा के इस्तीफे की मांग को लेकर किया गया था।